रिजर्व बैंक की ओर से ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कम, ये हैं दो बड़ी वजह
एमपीसी ने अपनी पिछली बैठक में रेपो रेट को छह फीसद पर और रिवर्स रेपो रेट भी 5.75 फीसद पर बरकरार रखा था
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) नीतिगत ब्याज दरों को यथावत रख सकता है। खाद्य मुद्रास्फीति और उबलते क्रूड के कारण आरबीआई के पास नीतिगत दरों में बदलाव की गुंजाइश कम है और इस बार की एमपीसी बैठक में नीतिगत दरों के अपरिवर्तित रहने की संभावना है। आरबीआई की अगली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 4 और 5 अप्रैल को होनी है। यह नए वित्त वर्ष की पहली द्वैमासिक नीतिगत समीक्षा होगी।
स्टैंडर्ड चार्टेड बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट अनुभूति सहाय ने बताया, “जनवरी-मार्च तिमाही की मुद्रास्फीति (जो कि अपने लक्ष्य से ज्यादा है) को देखते हुए आरबीआई एमपीसी एक संतुलित दृष्टिकोण अपना सकती है। इसके अलावा ग्रोथ रिकवरी को देखते हुए एमपीसी की ओर से किसी बड़े कदम को उठाए जाने की संभावना कम है। हालांकि मुद्रास्फीति और राजकोषीय घाटे के जोखिमों को लेकर सतर्क रहेगा जो कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणाओं पर निर्भर है।
पिछली बैठक में क्या हुआ था फैसला: एमपीसी ने 5-6 दिसंबर (2017) को हुई अपनी पिछली बैठक में वित्तवर्ष 2017-18 की अपनी पांचवीं द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में बढ़ती महंगाई का हवाला देते हुए नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। आरबीआई ने इस बैठक में रेपो रेट को छह फीसद पर और रिवर्स रेपो रेट भी 5.75 फीसद पर बरकरार रखा था।
MPC में RBI रख सकता है रेपो रेट को बरकरार: UBS
भारतीय रिजर्व बैंक 5 अप्रैल को होने वाली नीतिगत समीक्षा बैठक में रेपो रेट छह फीसद पर बरकरार यथावत रह सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि आर्थिक विकास में सुधार और मंहगाई दर में नरमी देखने को मिल रही है। ऐसा वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी यूबीएस का मानना है।
यूबीएस की रिपोर्ट के मुताबिक आरबीआई मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की स्टेटमेंट में तटस्थ रहने को लेकर सर्तक रह सकती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि आरबीआई का मार्च तिमाही के लिए 5.1 फीसद का अनुमान था। फरवरी महीने में खुदरा महंगाई घटकर 4.4 फीसद रही है।