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केवल वैश्विक कारणों से नहीं आई भारत में सुस्ती, RBI उठा रहा है हरसंभव कदमः शक्तिकांत दास

RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि देश की आर्थिक वृद्धि के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा बुनियादी क्षेत्र पर खर्च करना भी अहम है।

By Ankit KumarEdited By: Published: Mon, 16 Dec 2019 11:36 AM (IST)Updated: Mon, 16 Dec 2019 11:36 AM (IST)
केवल वैश्विक कारणों से नहीं आई भारत में सुस्ती, RBI उठा रहा है हरसंभव कदमः शक्तिकांत दास
केवल वैश्विक कारणों से नहीं आई भारत में सुस्ती, RBI उठा रहा है हरसंभव कदमः शक्तिकांत दास

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि देश की आर्थिक सुस्ती के लिए केवल वैश्विक कारणों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक आर्थिक सुस्ती, महंगाई दर में वृद्धि, बैंकों और नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों की सेहत में सुधार के लिए हरसंभव उपाय करेगा। उन्होंने अर्थव्यवस्था पर उद्देश्यपूर्ण चर्चा की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहा  कि दुनियाभर में Economic Slowdown से निपटने के लिए सभी एडवांस एवं उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को समन्वित तरीके से समय पर कार्रवाई करनी होगी।

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RBI ने समय रहते उठाए कदम

RBI गवर्नर ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने आर्थिक सुस्ती को पहले ही भांप लिया था और प्रोएक्टिव तरीके से फरवरी में ही दरों में कटौती कर दी थी। दास ने RBI की ओर से उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए कहा कि आदर्श सिद्धांतों के साथ किसी तरह का समझौता किये बगैर हमने दरों में कटौती एवं वृद्धि को मजबूती देने के लिए नकदी प्रवाह को सुनिश्चित किया। 

मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर पर ध्यान देने की जरूरत

दास ने आर्थिक सुस्ती की मौजूदा स्थिति से बाहर निकलने के लिए कुछ अहम सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि भारत को मैन्यूफैक्चरिंग एवं ग्लोबल सप्लाई चेन पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि आर्थिक वृद्धि के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा बुनियादी क्षेत्र पर खर्च करना भी अहम है। 

दिसंबर में रेपो रेट में कटौती नहीं करने का बचाव

RBI गवर्नर ने दिसंबर के पहले सप्ताह में अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में दरों में कटौती नहीं करने के फैसले का बचाव भी किया। उन्होंने कहा कि मैं यह नहीं जानता कि दरों में कटौती रोकने के फैसले से बाजार को क्यों हैरानी हुई। दास ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि आने वाले समय में यह निर्णय सही साबित होगा।

उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में देश की जीडीपी वृद्धि की रफ्तार के 4.5 फीसद के स्तर पर आ जाने के बाद इस बात की उम्मीद जताई जा रही थी कि रिजर्व बैंक साल में छठी बार प्रमुख नीतिगत दरों में कटौती कर सकता है।


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