Move to Jagran APP

Rules for Digital Banking: डिजिटल बैंकिंग को लेकर नया नियमन जल्‍द; RBI कर रहा तैयार, मोबाइल एप के जरिए धोखाधड़ी पर लगेगी लगाम

new regulation for digital banking एप आधारित बैंकिंग की आड़ में धोखाधड़ी करने वालों पर लगाम लगाने की तैयारी है। आरबीआइ डिजिटल बैंकिंग को लेकर नया नियम तैयार कर रहा है। राज्यों की जांच एजेंसियों के साथ मिल कर गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 15 Jul 2022 08:17 PM (IST)Updated: Fri, 15 Jul 2022 08:17 PM (IST)
Rules for Digital Banking: डिजिटल बैंकिंग को लेकर नया नियमन जल्‍द; RBI कर रहा तैयार, मोबाइल एप के जरिए धोखाधड़ी पर लगेगी लगाम
new regulation for digital banking mobile app: आरबीआइ डिजिटल बैंकिंग को लेकर नया नियम तैयार कर रहा है।

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। तकरीबन दो वर्षो की कड़ी मशक्कत के बाद आरबीआइ डिजिटल बैंकिंग को लेकर अपने कायदे कानून का मसौदा तैयार कर चुका है। आरबीआइ का नया नियम ना सिर्फ बैंकों व एनबीएफसी के लिए डिजिटल बैंकिंग कारोबार के मौजूदा तौर तरीके को व्यवस्थित करेगा बल्कि यह तकनीक की आड़ में जनता के साथ गलत तरीके से वित्तीय लेन-देन करने वालों पर भी पूरी तरह से लगाम लगाने की व्यवस्था करेगा।

loksabha election banner

सख्‍ती के बावजूद चला रहे कारोबार  

इस नये नियम का चाबुक चीनी कंपनियों की तरफ से चलाये जाने वाले मोबाइल बैंकिंग एप पर भी चलने वाला है आरबीआइ की चेतावनी और कई राज्यों सरकारों की सख्ती के बावजूद अभी चल रहे हैं। आरबीआइ के अधिकारी मान रहे हैं कि नये नियमन के बाद धोखाधड़ी करने वाले या ग्राहकों को परेशान करने वाले मोबाइल एप कंपनियों के खिलाफ देश की जांच एजेंसियां ज्यादा ठोस कार्रवाई कर सकेंगी।

जल्‍द जारी होंगे नए नियम 

उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि आरबीआइ ने डिजिटल बैंकिंग पर नये नियम पर सुझाव देने के लिए एक समिति गठित की थी जिसके आधार पर नये नियमन बनाये जा रहे हैं। उम्‍मीद है कि दो हफ्तों के भीतर इसे जारी किया जाएगा। इसमें डिजिटल बैंकिंग के अलग अलग वर्ग बनाये जाएंगे। एक वर्ग उन डिजिटल एप का होगा जिन्हें देश में काम करने की इजाजत नहीं होगी।

दूर की जाएंगी नियमों की खामियां  

नये नियमन में यह परिभाषित किया जाएगा कि किस आधार पर डिजिटल बैंकिंग एप चलाने वाली कंपनियों को भारत में प्रतिबंधित किया जा सकता है। साथ ही बैंकिंग गतिविधि चलाने के मौजूदा नियमों में उन सभी खामियों को दूर किया जाएगा जिसकी आड़े में चीनी कंपनियों के मोबाइल एप आम जनता को वित्तीय सेवा देते हैं।

लेनी होगी नियामकीय मंजूरी 

पिछले पांच वर्षों में यह दूसरा मौका होगा जब डिजिटल बैंकिंग को लेकर आरबीआइ विस्तृति दिशानिर्देश जारी करेगा। जबकि दो बार (वर्ष 2017 और वर्ष 2021) में इस बारे में समितियां भी गठित हुई हैं। आरबीआइ में चल रही इन तैयारियों की जानकारी रखने वालों का कहना है कि केंद्रीय बैंक वैसे किसी भी बैंकिंग गतिविधि को देश में चलाने की इजाजत नहीं दे सकता जिसके लिए संबंधित नियामक संबंधी मंजूरी नहीं ली गई हैं।

केंद्रीय बैंक जता चुका है चिंता 

हाल ही में एनबीएफसी से संबंधित कुछ उन मोबाइल एप को प्रतिबंधित करने का फैसला किया गया है जो बगैर किसी मंजूरी के ग्राहकों को अभी खरीदो, बाद में भुगतान करो की सुविधा दे रही थी। केंद्रीय बैंक ने पिछले साल मोबाइल एप के जरिए पर्सनल लोन बांटने वाली कंपनियों को लेकर चिंता जताई थी और उससे आम जनता को सचेत कराने का कदम भी उठाये थे लेकिन इन कंपनियों की गतिविधियां डिजिटल बैंकिंग के नाम पर अभी तक चल रही हैं।

लगातार हो रही घटनाएं 

आये दिन समाचार पत्रों में बगैर आरबीआइ की अनुमति के कर्ज बांटने वाली इन कंपनियों की आपराधिक गतिविधियों की खबरें प्रकाशित हो रही हैं। इनकी तरफ से ग्राहकों के डाटा को गैर कानूनी तरीके से हासिल करने और उसे वितरित करने संबंधी कई घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं।

क्‍यों नहीं हो पा रही कार्रवाई 

मोबाइल एप कंपनियों की तरफ से छोटे शहरों व कस्बों में कर्ज बांटने की चल रही गतिविधियों पर अभी तक कार्रवाई नहीं हो पाने के बारे में सूत्रों का कहना है कि एक बड़ी वजह राज्यों की विभिन्न एजेंसियों के बीच आपसी सामंजस्य का नहीं हो पाना है।

...ताकि ना हो आम जनता के साथ धोखाधड़ी

डिजिटल बैंकिंग को लेकर नया नियमन इस बारे में स्थिति काफी स्पष्ट करेगा और नियामक एजेंसियों और राज्यों की जांच एजेंसियों के बीच बेहतर सामंजस्य को स्थापित करेगा ताकि डिजिटल बैंकिंग की आड़ में आम जनता के साथ धोखाधड़ी ना हो।

1100 तरह के कर्ज देने वाले एप मौजूद

केंद्रीय बैंक ने पिछले वर्ष बताया था कि देश में 81 तरह के एप स्टोर हैं जहां 1100 तरह के कर्ज देने वाले एप मौजूद हैं। ये बहुत ही आसानी से कर्ज देने का काम करते हैं। इनमें से बहुत सारे ऐप राज्यों के मनी लेंडर्स एक्ट, चिट फंड एक्ट या राज्य सरकारों के कुछ दूसरे कानूनों के तहत पंजीकृत होने का दावा करते हैं। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.