RBI के गवर्नर को नहीं बनाएं पेमेंट रेगुलेटरी बोर्ड का पदेन अध्यक्ष
वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग के सचिव सुभाष गर्ग की अध्यक्षता वाली अंतर-मंत्रलयी समिति ने यह अहम सिफारिश की है
नई दिल्ली (हरिकिशन शर्मा)। देश में भुगतान संबंधी मौजूदा कानून में व्यापक बदलाव की सिफारिश करते हुए सरकार की एक उच्च स्तरीय समिति ने एक स्वतंत्र पेमेंट रेगुलेटरी बोर्ड (पीआरबी) गठित करने तथा भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर को इसका पदेन अध्यक्ष न बनाने की सिफारिश की है। हालांकि समिति का कहना है कि सरकार इस बोर्ड के अध्यक्ष की नियुक्ति आरबीआइ के साथ परामर्श के बाद करे। फिलहाल आरबीआइ गवर्नर ही पीआरबी के पदेन अध्यक्ष होते हैं।
वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग के सचिव सुभाष गर्ग की अध्यक्षता वाली अंतर-मंत्रलयी समिति ने यह अहम सिफारिश की है। सरकार ने इस समिति का गठन पेमेंट सिस्टम एंड सेटलमेंट एक्ट 2007 में संशोधनों पर विचार करने के लिए किया था। हाल ही में समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी है। समिति ने मौजूदा कानून की जगह सरकार को द पेमेंट एंड सेटलमेंट सिस्टम बिल 2018 लाने की सिफारिश भी की है। समिति का कहना है कि पीआरबी मुख्यत: तीन कार्य ग्राहकों के हितों की रक्षा, सिस्टम की स्थिरता और प्रतिस्पर्धा तथा इनोवेशन पर फोकस करेगा। विधेयक में आरबीआइ और पीआरबी के बीच समन्वय का प्रावधान किया गया है।
विधेयक में ग्राहकों की शिकायत निवारण के लिए मजबूत तंत्र तथा इसके प्रावधानों के विरुद्ध गतिविधियां पाए जाने पर कड़े जुर्माने और दंड के प्रावधान भी किए गए हैं। सूत्रों ने कहा कि समिति ने अपनी रिपोर्ट के साथ-साथ विधेयक का मसौदा भी सरकार को सौंपा है। माना जा रहा है कि सरकार अब इस मसौदे को कैबिनेट के समक्ष रखेगी। इसके बाद कैबिनेट की हरी झंडी मिलने के बाद इसे संसद में पेश किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि सरकार ने वित्त विधेयक 2017 के जरिये पेमेंट सिस्टम एंड सेटलमेंट एक्ट 2007 में संशोधन कर पीआरबी का प्रावधान किया था। हालांकि मौजूदा कानून के तहत आरबीआइ के गवर्नर को इसका पदेन अध्यक्ष बनाया जाता है। पीआरबी को तलाशी और छापेमारी तथा जांच करने का अधिकार भी होगा।