छोटी व मझोली उद्योग इकाइयों के दबावग्रस्त कर्ज का होगा पुनर्गठन
भारतीय रिजर्व बैंक ने देश के सूक्ष्म, लघु व मझोले (एमएसएमई) क्षेत्र की इकाइयों को नए साल का गिफ्ट दिया है।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। भारतीय रिजर्व बैंक ने देश के सूक्ष्म, लघु व मझोले (एमएसएमई) क्षेत्र की इकाइयों को नए साल का गिफ्ट दिया है। उसने 25 करोड़ रुपये तक के मौजूदा कर्ज लौटाने में नाकाम रहीं इकाइयों को कर्ज पुनर्गठन की अनुमति दी है। कर्ज पुनर्गठन की सुविधा सिर्फ उन कंपनियों को मिलेगी जिनके कर्ज अभी भी स्टैंडर्ड असेट्स के तौर पर वर्गीकृत हैं।
आरबीआइ के इस फैसले से उन एमएसएमई इकाइयों को राहत मिलेगी जो नोटबंदी और जीएसटी के चलते नकदी की किल्लत से जूझ रही हैं। आरबीआइ के बोर्ड ने 19 नवंबर की अहम बैठक में सुझाव दिया था कि आरबीआइ 25 करोड़ रुपये तक के दबावग्रस्त लेकिन स्टैंडर्ड असेट्स के पुनर्गठन के लिए अपनी योजना पर दोबारा विचार करे। लेकिन यह कदम इस तरह उठाया जाए कि वित्तीय स्थिरता बरकरार रहे।
आरबीआइ ने एक बयान में कहा कि एमएसएमई इकाइयों को दबावग्रस्त लोन खातों में राहत देने के लिए केंद्रीय बैंक ने उनके कर्ज के एक बार पुनर्गठन की अनुमति दी है। यह सुविधा उन इकाइयों को ही मिलेगी जो एक जनवरी 2019 को लोन चुकाने में नाकाम रहीं लेकिन उनके कर्ज स्टैंडर्ड असेट की श्रेणी में हैं। असेट क्लासिफिकेशन घटने पर यह सुविधा नहीं मिलेगी। इस योजना में सिर्फ वे ही इकाइयां पात्र होंगी जिन पर बैंक और एनबीएफसी से सभी तरह के कर्ज एक जनवरी 2019 को 25 करोड़ रुपये से अधिक न हों। उनके कर्ज का पुनर्गठन 31 मार्च 2020 तक किया जाएगा।
एमएसएमई के कर्जो के पुनर्गठन का मुद्दा सरकार और आरबीआइ के बीच काफी गरम रहा था। वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने 19 नवंबर की आरबीआइ बोर्ड की बैठक में एमएसएसई सेक्टर में नकदी किल्लत पर विस्तृत प्रजेंटेशन दिया था। सरकार ने इस सेक्टर को मदद पहुंचाने के लिए कई सुझाव दिए थे। देश के मैन्यूफैक्चरिंग में एमएसएमई की हिस्सेदारी करीब 50 फीसद है। आरबीआइ के इस फैसले पर स्वदेशी जागरण मंच के विचारक और आरबीआइ बोर्ड के सदस्य एस. गुरुमूर्ति ने ट्वीट करके प्रतिक्रिया दी कि देश के छोटे उद्योगों के लिए यह बड़ा कदम है। कर्ज चुकाने में नाकाम होने पर इन इकाइयों को कामकाज चलाना बहुत मुकिश्ल हो गया है। उन्होंने आरबीआइ को इसकी घोषणा के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि 12 करोड़ रोजगार देने वाले एमएसएमई को इससे बड़ी राहत मिलेगी।