RBI क्रेडिट पॉलिसी: रेपो रेट 6% पर बरकरार, कम हुआ महंगाई अनुमान
RBI क्रेडिट पॉलिसी में महंगाई अनुमान को घटाया गया है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। वित्त वर्ष 2018-19 की पहली क्रेडिट पॉलिसी (द्वैमासिक मौद्रिक समीक्षा) उम्मीद के मुताबिक रही है। इस बैठक में एमपीसी ने कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो रेट 6 फीसद पर और रिवर्स रेपो 5.75 फीसद पर ही बरकरार रहेगी। रिजर्व बैंक ने सीआरआर 4 फीसद पर बरकरार रखा है। दरें बरकरार रखने का प्रस्ताव 5-1 से पास हुआ है। सिर्फ मिशेल डी पात्रा ने 25 बीपीएस के इजाफे के पक्ष में वोट किया।
घटाया गया महंगाई अनुमान: F19 की पहली छमाही में महंगाई दर घटने का अनुमान लगाया गया है। वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में महंगाई अनुमान को 5.1-5.6 फीसद से घटाकर 4.7-5.1 फीसद कर दिया गया है। वहीं वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में (अक्टूबर-मार्च) में महंगाई अनुमान 4.4 फीसद रखा गया है। एसएलआर 19.5 फीसद पर बरकरार रखा है।
2019-20 में इंडियन इकोनॉमी में आएगी तेजी: आरबीआई ने यह भी कहा है कि क्रूड में अस्थिरता से आउटलुक में अनिश्चितता बनी हुई है और बाजार में उतार-चढ़ाव और ट्रेड वार का डर बना हुआ है। एमपीसी के मुताबिक 2019-20 में इंडियन इकोनॉमी में तेजी देखने को मिलेगी। साथ ही एमपीसी का कहना है कि मानसून आधारित महंगाई दर को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है।
एमपीसी में कौन कौन सदस्य शामिल: आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) में 6 सदस्य शामिल हैं। इसमें सरकार की ओर से नामित सदस्य चेतन घाटे, पामी दुआ, रवीन्द्र एच ढोलकिया हैं। वहीं आरबीआई की ओर से गवर्नर उर्जित पटेल, मौद्रिक नीति प्रभारी डिप्टी गवर्नर विरल ए आचार्य और बैंक के कार्यकारी निदेशक मिशेल डी पात्रा शामिल हैं।
जीडीपी अनुमान: वित्त वर्ष 2019 के लिए जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 7.4 फीसद लगाया गया है। यह वित्त वर्ष 2018 में 6.6 फीसद रही थी। वहीं, वित्त वर्ष 2019 की पहली तिमाही (अप्रैल- जून) के लिए 7.1 फीसद जीडीपी ग्रोथ का अनुमान लगाया गया है। जबकि दूसरी तिमाही (जुलाई से सितंबर) के लिए 7.4 फीसद के जीडीपी ग्रोथ का अनुमान लगाया गया है।
पिछली बैठक में क्या हुआ था फैसला: एमपीसी ने 5-6 दिसंबर (2017) को हुई अपनी पिछली बैठक में वित्त वर्ष 2017-18 की अपनी पांचवीं द्वैमासिक मौद्रिक समीक्षा में बढ़ती महंगाई का हवाला देते हुए नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। आरबीआई ने इस बैठक में रेपो रेट को छह फीसद पर और रिवर्स रेपो रेट भी 5.75 फीसद पर बरकरार रखा था।
क्या होती है रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर होती है जिसपर बैंकों को आरबीआई कर्ज देता है। बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को लोन मुहैया कराते हैं। रेपो रेट कम होने का अर्थ है कि बैंक से मिलने वाले तमाम तरह के लोन का सस्ता होना होता है।
क्या होती है रिवर्स रेपो रेट?
रिवर्स रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में काम आती है।