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RBI की कर्मचारी यूनियनों ने उठाई बैंक डिपॉजिट पर 10 लाख तक इंश्योरेंस कवर की मांग

इस समय प्रत्येक बैंक जमाधारक को उसके बैंक की इन्सॉल्वेंसी अथवा लाइसेंस निरस्त होने की तिथि को उसकी जमा पर अधिकतम एक लाख रुपये बीमा कवर उपलब्ध कराता है।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 08:56 AM (IST)Updated: Wed, 20 Nov 2019 08:56 AM (IST)
RBI की कर्मचारी यूनियनों ने उठाई बैंक डिपॉजिट पर 10 लाख तक इंश्योरेंस कवर की मांग
RBI की कर्मचारी यूनियनों ने उठाई बैंक डिपॉजिट पर 10 लाख तक इंश्योरेंस कवर की मांग

मुंबई, पीटीआइ। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के कर्मचारी यूनियनों ने बैंकों में जमा राशि पर बीमा कवर राशि बढ़ाने की मांग की है। यूनियनों का कहना है कि किसी बैंक के डूबने की स्थिति में ग्राहकों को प्रति अकाउंट अधिकतम एक लाख रुपये ही मिलते हैं, जिसे बढ़ाकर 10 लाख रुपये किया जाना चाहिए। दूसरी तरफ, ऑल इंडिया बैंक इंप्लॉईज एसोसिएशन (एआइबीईए) ने सरकारी बैंकों में डिपॉजिट इंश्योरेंस की व्यवस्था ही खत्म करने की मांग की है।

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सहकारी क्षेत्र के पंजाब एंड महाराष्ट्र (पीएमसी) बैंक में जारी संकट के बीच बैंक जमा पर बीमा कवर बढ़ाने की मांग जोर पकड़ती जा रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस संबंध में सरकार की मंशा बताते हुये कहा कि सरकार संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में ही बैंक जमा पर बीमा गारंटी बढ़ाने के लिए संशोधन विधेयक पेश करेगी। उन्होंने कहा कि जमा राशि पर बीमा कवर को एक लाख रुपये से बढ़ाया जाएगा। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि यह कितनी हो सकती है।

अखिल भारतीय रिजर्व बैंक कर्मचारी संघ ने एक वक्तव्य में कहा कि इससे पहले भी उसने इस बारे में सुझाव दिया था। उसका सुझाव यह था कि किसी भी खाताधारक की सब तरह की जमा रकम पर बीमा कवर को कम से कम दस लाख रुपये किया जाना चाहिए। हम अपनी इस मांग को दोहराते हुए सरकार से इस पर विचार करने का आग्रह करते हैं। कर्मचारी संघ ने कहा है कि प्रस्तावित दस लाख रुपये की राशि करीब 14,000 डॉलर होती है, जो कई अन्य देशों के मुकाबले कम है।

दूसरी ओर, एआइबीईए ने वित्त मंत्री से अनुरोध किया है कि सरकारी बैंकों में डिपॉजिट पर बीमा कवर का प्रावधान हटाया जाए। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे पत्र में संगठन ने तर्क दिया है कि बैंकिंग रेगुलेशंस एक्ट, 1947 के तहत आरबीआइ और सरकार को यह ताकत दी गई है कि वे जनहित में किसी भी बैंक का किसी भी अन्य बैंक के साथ विलय कर सकते हैं। इससे बैंक बंद होने और खाताधारकों की रकम डूबने की समस्या ही खत्म हो जाएगी। इसके अतिरिक्त, वर्ष 1969 और 1980 में बैंकों के राष्ट्रीयकरण के तहत बैंकों में जमा एक-एक रुपये की गारंटी सरकार मुहैया कराती है। संगठन के मुताबिक ऐसे में डिपॉजिट पर बीमा कवर की कोई जरूरत नहीं है।

मौजूदा प्रावधान यह

वर्तमान में प्रत्येक बैंक जमाधारक को उसके बैंक की इन्सॉल्वेंसी अथवा लाइसेंस निरस्त होने की तिथि को उसकी जमा पर अधिकतम एक लाख रुपये बीमा कवर उपलब्ध कराता है। इसका सीधा मतलब यह है कि अगर किसी के खाते में एक लाख रुपये से कम रकम है, तो बैंक के डूबने या बंद होने की स्थिति में उसे पूरी रकम वापस मिल जाएगी। लेकिन अगर जमा रकम एक लाख रुपये से ज्यादा है, तो भले ही वह उदाहरण के तौर पर 10 लाख रुपये भी क्यों न हो, खाताधारक को सिर्फ एक लाख रुपये वापस मिलेंगे। एसबीआइ रिसर्च की हाल में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार एक लाख रुपये का जमा बीमा कवर दुनिया में सबसे कम कवर में से एक है। ब्राजील में जमा राशि पर 42 लाख रुपये और रूस में 12 लाख रुपये का कवर दिया जाता है।


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