Loan Moratorium की अवधि में RBI ने नहीं दी राहत, कोविड से प्रभावित कॉरपोरेट व पर्सनल लोन खातों को मिलेगी मोहलत
कोविड-19 की वजह से जो लोग या कंपनियां बैंकों का कर्ज नहीं चुका पा रही हैं उन्हें राहत देने की व्यवस्था जरूर कर दी गई है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। RBI ने ना तो ब्याज दरों को और नीचे लाने की कोशिश की है और ना ही सावधि कर्ज चुकाने पर लगी रोक (Moratorium) की अवधि 31 अगस्त से आगे बढ़ाने का ऐलान किया है। लेकिन कोविड-19 की वजह से जो लोग या कंपनियां बैंकों का कर्ज नहीं चुका पा रही हैं उन्हें राहत देने की व्यवस्था जरूर कर दी गई है। आरबीआइ गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास ने गुरुवार को मौद्रिक नीति की समीक्षा पेश की उसमें कोविड से प्रभावित बैंकिंग लोन को रिस्ट्रक्चर करने की नीति की घोषणा की गई है। समीक्षा में ब्याज दरों को प्रभावित करने वाले रेपो रेट को 4 फीसद पर ही स्थिर रखा गया है।
कोविड-19 ने जिस तरह से पूरी दुनिया की इकोनॉमी को तहस नहस किया है उसे देखते हुए घरेलू उद्योग जगत के साथ ही बैंकों की तरफ से यह मांग की जा रही था कि उनकी कर्ज योजनाओं को नए सिरे से भुगतान करने की मोहलत मिले। बैंकिंग भाषा में इसे लोन रिस्ट्रक्चरिंग कहते हैं, इसके तहत ग्राहकों पर बकाये ब्याज को माफ किया जाता है और उन्हें कर्ज चुकाने के लिए और वक्त दिया जाता है।
आरबीआइ ने कहा है कि इस बार कर्ज चुकाने की अवधि दो वर्ष तक के लिए बढ़ाई जा सकती है। इस स्कीम के तहत कारपोरेट लोन को किस तरह से राहत दी जाए, इस बारे में विस्तृत फ्रेमवर्क बनाने के लिए के वी कामथ की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है। वैसे मोटे तौर पर आरबीआइ ने कहा है कि 31 दिसंबर, 2020 से पहले यह स्कीम लागू होगी और बैंकों को 180 दिनों में इसे लागू करना होगा। रिस्ट्रक्चर होने के बाद कर्ज खातों को एनपीए नहीं माना जाएगा।
बैंकों को फायदा यह होगा कि उनके फंसे कर्जे (एनपीए) का स्तर नहीं बढेगा और उन पर वित्तीय दबाव भी नहीं बढ़ेगा। दूसरी तरफ कंपनियों को आसानी से कर्ज चुकाने की मोहलत मिल जाएगी और वे दोबारा कर्ज भी लेने के योग्य हो जाएंगे।
इस स्कीम का फायदा पर्सनल लोन लेने वाले ग्राहकों को भी मिलेगा। लेकिन यह ध्यान रखा जाएगा उन्हें ही इसमें शामिल किया जाए जिनकी आमदनी कोविड-19 महामारी की वजह से प्रभावित हुई है। पर्सनल लोन के संबंध में बताया गया है इस बारे में बैंक खुद ही नियम बनाएंगे यानी कॉरपोरेट लोन की तरह से कोई समिति के सुझाये दिशानिर्देश के आधार पर यहां नियम तय नहीं होंगे। बैंक बोर्ड खुद ही नियम बनाएगा जिसे 31 दिसंबर, 2020 तक लाग करनी होगी और ग्राहकों को अधिकतम 90 दिनों बाद इसे लागू किया जाएगा। यहां भी कर्ज चुकाने की नई अवधि दो वर्ष से ज्यादा की नहीं होगी।
गुरुवार को देर शाम जारी दिशानिर्देश में आरबीआइ ने कहा है कि उन्हीं ग्राहकों को फायदा मिलेगा जिन्होंने 1 मार्च, 2020 तक कर्ज अदाएगी में 30 दिनों से ज्यादा की देरी नहीं की हो। एमएसएमई के लोन रिस्ट्रक्चरिंग की एक नीति पहले से ही है। इसमें बदलाव यह किया गया है कि जिन लघु व मझोले उद्योगों का कारोबार कोविड-19 से प्रभावित हुआ है उन्हें इसमें शामिल किया गया है। आरबीआइ ने इस स्कीम का दिशानिर्देश भी जारी कर दिया है जिसके मुताबिक इसके तहत 1 मार्च, 2020 तक 25 करोड रुपये तक की बकाये कर्ज वाले खातों को यह फायदा मिलेगा। अगर वह एनपीए न घोषित हुआ हो।
यह स्कीम 31 मार्च, 2021 तक लागू होगी। मौद्रिक नीति तय करने के लिए गठित छह सदस्यीय समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक के बाद आरबीआइ गवर्नर दास ने कहा है कि, ''इस वर्ष रेपो रेट (होम लोन आटो लोन आदि को तय करने वाली दर) में 1.15 फीसद की कटौती की गई है जिसका फायदा अब बैंक ग्राहकों को देना शुरु कर चुके हैं। बैंकों व वित्तीय संस्थानों के पास पर्याप्त फंड है। महंगाई के खतरे के बावजूद आगे ब्याज दरों में कमी की और गुंजाइश भी है। केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने के लिए हरसंभव मदद करेगा।''