Reverse Repo Rate में कटौती से बढ़ेगी बाजार में नकदी की तरलता, यह है RBI का समय पर उठाया गया एक आवश्यक कदम
Reverse Repo Rate में कटौती का सीधा फायदा यह होगा कि इससे बाजार में नकदी की तरलता बढ़ेगी।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को अपनी प्रेस कांफ्रेंस में कई बड़ी घोषणाएं की है। इसमें रिवर्स रेपो रेट में 0.25 फीसद की कटौती की घोषणा, सिस्टम में एलटीआरओ 2.0 के जरिए 50,000 करोड़ रुपये डालने से शुरुआत करने की घोषणा, बैंक क्रेडिट फ्लो में छूट के लिए नए प्रस्ताव पर विचार करने की घोषणा, एनपीए की 90 दिन की अवधि में मोरेटोरियम की अवधि शामिल नहीं करने की घोषणा, बैंकों का लिक्विडिटी कवरेज रेश्यो (LCR) 100 से घटाकर 80 करने की घोषणा और बैंकों को वित्त वर्ष 2020 के लिए डिवीडेंट का ऐलान नहीं करने देने की घोषणाएं मुख्य हैं।
आरबीआई ने शुक्रवार को बड़ा फैसला रिवर्स रेपो रेट को लेकर किया है। केंद्रीय बैंक ने रिवर्स रेपो रेट में 25 आधार अंक यानी 0.25 फीसद की कटौती की है। इससे अब यह घटकर 3.75 फीसद पर आ गई है। पहले रिवर्स रेपो रेट चार फीसद थी। आरबीआई की इस घोषणा से बाजार में लिक्विडिटी बढ़ाने में मदद मिलेगी।
जानिए क्या होता है रिवर्स रेपो
रिवर्स रपो रेट, रेपो रेट के ठीक उल्टा होता है। यह वह दर होती है, जिस पर बैंकों को उनकी और से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट मार्केट में नकदी की तरलता को कंट्रोल करने में काम आती है। जब भी बाजार में बहुत ज्यादा नकदी होती है, तो भारतीय रिज़र्व बैंक रिवर्स रेपो रेट में बढ़ोत्तरी कर देता है। वहीं, जब बाजार में नकदी की कमी होती है, तो आरबीआई रिवर्स रेपो रेट को घटा देता है। इससे बाजार में लिक्विडिटी बढ़ जाती है।
रिवर्स रेपो रेट में कटौती का यह होता फायदा
रिवर्स रेपो रेट घटने से अब बैंकों को आरबीआई में जमा अपने धन पर कम ब्याज प्राप्त होगा। ब्याज में कमी से बचने के लिए बैंक अपनी रकम को आरबीआई से निकाल सकते हैं और बाजार में निवेश कर सकते हैं। इसका सीधा-सीधा अर्थ यह है कि रिवर्स रेपो रेट घटने से बाजार में नकदी की तरलता बढ़ेगी। बाजार में नकदी की कमी को दूर करनें में इससे काफी मदद मिल सकती है। अर्थव्यवस्था में भारी सुस्ती की संभावनों को देखते हुए यह आरबीआई द्वारा समय पर उठाया गया एक आवश्यक कदम है।