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आरबीआई ने की रेपो रेट में कटौती, सस्ते कर्ज की उम्मीद बढ़ी

RBI ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कटौती का एलान कर दिया है

By Surbhi JainEdited By: Published: Wed, 02 Aug 2017 02:37 PM (IST)Updated: Wed, 02 Aug 2017 03:17 PM (IST)
आरबीआई ने की रेपो रेट में कटौती, सस्ते कर्ज की उम्मीद बढ़ी
आरबीआई ने की रेपो रेट में कटौती, सस्ते कर्ज की उम्मीद बढ़ी

नई दिल्ली (जेएनएन)। सस्ते कर्ज की उम्मीद लगाए बैठे लोगों के लिए खुशखबरी है। भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को रेपो रेट में चौथाई फीसद (0.25 फीसद) की कटौती कर दी है। अब रेपो रेट 6.25 फीसद से घटकर 6 फीसद पर आ गई है। वहीं रिवर्स रेपो में भी चौथाई फीसद की कटौती की गई है। रिवर्स रेपो 0.25 फीसद घटकर 5.75 फीसद हो गई है। जानकारी के लिए बता दें कि सीआरआर में कोई बदलाव नहीं किया गया है। गौरतलब है कि एमपीसी की अगली बैठक 3 और 4 अक्टूबर को होगी।  आरबीआई का मानना है कि 18 से 24 महीनों में रिटेल इंफ्लेशन में एक फीसद की बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।

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रेट कट को लेकर एकमत नहीं थे सभी एमपीसी सदस्य: एमपीसी के चार सदस्यों ने बैठक में रेपो रेट को 25 बेसिस प्वाइंट कम करने के पक्ष में वोट दिया था जबकि एक ने 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती के पक्ष में वोट किया। वहीं एक सदस्य का कहना था कि रेपो रेट को अपरिवर्तित रखा जाए। आपको बता दें कि एमपीसी में कुल 6 सदस्य होते हैं।

आरबीआई ने महंगाई दर के अनुमान को कम कर 4 फीसद कर दिया है। वहीं वित्त वर्ष 2018 के लिए जीवीए अनुमान 7.3 फीसद पर बरकरार रखा गया है। वहीं बैंक दर को 6.5 फीसद से घटाकर 6.25 फीसद कर दिया गया है। आरबीआई की ओर से की गई ब्याज दरों में कटौती नवंबर 2010 के बाद का निचला स्तर है। नियंत्रण में आ चुकी महंगाई दर ने केंद्रीय बैंक को रेट कट की गुंजाइश दी थी ताकि इकोनॉमी को बूस्ट दिया जा सके।

अनुमान के मुताबिक रहा एमपीसी का फैसला:

बुधवार को जारी किए गए एमपीसी के नतीजे अनुमान के मुताबिक ही रहे। नियंत्रण में आ चुकी महंगाई दर को देखते हुए उद्योग चैंबर के साथ साथ बैंक ऑफ अमेरिकी मेरिल लिंच ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि एमपीसी अगली बैठक में रेपो रेट चौथाई फीसद तक की कटौती कर सकता है। भारतीय स्टेट बैंक की रिपोर्ट में भी इससे मिलती-जुलती बात कही थी। वहीं, उद्योग चैंबरों का भी मानना था कि रिजर्व बैंक के लिए ब्याज दरों में कटौती करने का यह सही मौका है। सीआइआइ का कहना था कि घटती महंगाई के चलते आरबीआइ को ब्याज दर में कटौती का सिलसिला फिर से शुरू करना चाहिए।


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