RBI क्रेडिट पॉलिसी समीक्षा समेत ये फैकटर्स तय करेंगे शेयर बाजार की चाल, जानिए
चार हफ्ते की गिरावट के बाद बीते हफ्ते शेयर बाजार में आई थी तेजी। इस हफ्ते क्रेडिट पॉलिसी की समीक्षा बाजार के लिए अहम ट्रिगर होगा।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। इस हफ्ते दलाल स्ट्रीट की चाल पर रिजर्व बैंक की मौद्रित नीति समीक्षा और आर्थिक आंकड़ों का असर रहेगा। इसके अलावा विदेशी संकेतों से भी निवेशकों की धारणा प्रभावित हो सकती है। पिछले हफ्ते महावीर जयंती और गुड फ्राइडे के मौके पर क्रमश: गुरुवार और शुक्रवार को शेयर बाजार में दो दिन छुट्टी रही थी। तीन दिनों के कारोबारी सप्ताह में बंबई शेयर बाजार (बीएसई) का सेंसेक्स 372 अंक की बढ़त लेने में सफल रहा था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी भी 116 अंक बढ़कर बंद हुआ था। इससे पहले साप्ताहिक आधार पर लगातार चार हफ्ते शेयर बाजार गिरावट में रहे थे।
विशेषज्ञ का नजरिया
सैमको सिक्योरिटीज के संस्थापक और सीईओ जिमीत मोदी ने कहा, ‘अप्रैल में अच्छे तिमाही नतीजों की उम्मीद में बाजार धीरे-धीरे तेजी की ओर बढ़ सकते हैं। अमेरिकी बाजारों की चाल और ट्रेड वार के हालात पर अब भी अनिश्चितता बनी हुई है। लेकिन अब दिख रहा है कि इन कारणों का बाजार पर व्यापक असर पड़ चुका है। आगे बाजार बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।’
एपिक रिसर्च के सीईओ मुस्तफा नदीम ने कहा कि चार और पांच अप्रैल को रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की दो दिवसीय बैठक होगी। वित्त वर्ष 2018-19 में यह रिजर्व बैंक की पहली मौद्रिक समीक्षा बैठक है। निवेशक समीक्षा बैठक के फैसले पर नजर रखेंगे। इसके अलावा ग्लोबल बाजारों के ट्रेंड, विदेशी संस्थागत निवेशकों व घरेलू संस्थानों के निवेश और रुपये की चाल भी बाजार को प्रभावित करेगी। मैन्यूफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर के पीएमआइ आंकड़े, वाहन बिक्री के आंकड़े अन्य महत्वपूर्ण कारकों में शामिल रहेंगे।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा कि यह वित्त वर्ष शेयर बाजार के लिए मिला-जुला रह सकता है। चुनाव से पहले की उठापटक और ट्रेड वार जैसे मुद्दे असर डालेंगे।
FY 18 में आधा रह गया FIIs का निवेश
वित्त वर्ष 2017-18 में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफपीआइ) ने इक्विटी मार्केट में 26,000 करोड़ रुपये का निवेश किया। लेकिन स्थिति उत्साहजनक नहीं रही, क्योंकि 2016-17 के 55,700 करोड़ रुपये की तुलना में यह आधे से भी कम है। जानकारों का कहना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से दरों में अनुमान से ज्यादा बढ़ोतरी के डर और भारतीय बाजारों में ओवर वैल्यूएशन के चलते एफपीआइ ने हाथ खींचे। डेट मार्केट में स्थिति इससे उलट रही। एफपीआइ बीते वित्त वर्ष में डेट मार्केट में 1.2 लाख करोड़ रुपये लगाए। इससे एक साल पहले विदेशी निवेशकों ने डेट मार्केट से करीब 7,300 करोड़ रुपये बाहर निकाले थे।
शीर्ष 10 में से सात कंपनियों का एम-कैप बढ़ा
देश की शीर्ष 10 में से सात कंपनियों के बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) में बीते हफ्ते 56,082.33 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ। इस दौरान एचडीएफसी बैंक और एसबीआइ को सबसे ज्यादा फायदा हुआ। समीक्षाधीन अवधि में एचडीएफसी बैंक का एम-कैप 13,700.11 करोड़ रुपये बढ़कर 4,90,848.35 करोड़ रुपये रहा। एसबीआइ का बाजार मूल्यांकन 13,379.69 करोड़ रुपये बढ़कर 2,15,887.67 करोड़ रुपये रहा। बीते हफ्ते हंिदूुस्तान यूनीलिवर, मारुति सुजुकी, एचडीएफसी, टीसीएस और ओएनजीसी के बाजार पूंजीकरण में भी बढ़ोतरी हुई। इस दौरान इन्फोसिस, रिलायंस इंडस्ट्रीज और आइटीसी के बाजार मूल्यांकन में गिरावट दर्ज की गई।