इस कारण नहीं कर सका RBI अपनी सालाना रिपोर्ट जारी
भारतीय रिजर्व बैंक देश में लागू हुए नोटबंदी के फैसले के कारण अपनी सालाना रिपोर्ट जारी नहीं कर पाया
नई दिल्ली (जेएनएन)। यह भारतीय रिजर्व बैंक के इतिहास में पहली बार हुआ है कि उसने निर्धारित तारीख पर पिछले वर्ष की अपनी संपत्तियों का ब्यौरा नहीं दिया है। आरबीआइ हर वर्ष जुलाई के पहले पखवाड़े में पिछले वर्ष (जुलाई से जून) का अपनी संपत्तियों का रिपोर्ट जारी करता है लेकिन इस साल नहीं किया है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि केंद्रीय बैंक अभी तक नोटबंदी के बाद वापस आये नोटों की गिनती ही नहीं कर सका है।
आरबीआइ की तरफ से जारी नोटों को उसके दायित्व के तौर पर माना जाता है इसलिए वह सालाना रिपोर्ट जारी नहीं कर सका है। रिपोर्ट जारी कब होगी, यह भी तय नहीं है। वैसे आरबीआई ने कहा है कि यह रिपोर्ट अगस्त, 2017 में जारी होगी। लेकिन यह तभी संभव होगा जब सिस्टम से वापस आये सभी 500 व 1000 के नोटों की गणना हो जाए।
आरबीआइ गवर्नर उर्जित पटेल ने पिछले हफ्ते ही संसदीय समिति को बताया है कि पुराने प्रतिबंधित नोटों की गणना जारी है। इसके लिए बाहर से नए मशीनें भी मंगाई जा रही हैं। ऐसे में जानकारों का मानना है कि दो से तीन महीने का समय और लग सकता है। यह भी बताया था कि लगातार पुराने नोटों की गणना जारी है। बहरहाल, आरबीआइ की तरफ से सालाना रिपोर्ट जारी नहीं होने से कई लोग केंद्रीय बैंक की साख पर एक बड़ा सवाल मान रहे हैं। सिस्टम में कितने नोट वापस आये हैं, इसका आठ दिसंबर, 2016 तक के आंकड़े ही जारी किये गये हैं। बीते साल नवंबर में नोटबंदी लागू होने के बाद हर हफ्ते तक केंद्रीय बैंक की तरफ से वापस आने वाले नोटों की संख्या जारी की गई।
नोटों की छपाई में मेक इन इंडिया
भारतीय रिजर्व बैंक मेक इन इंडिया अभियान को बढ़ावा देने जा रहा है। उसने करेंसी सिक्योरिटी फाचर्स के लिए इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं के जारी टेंडर में सप्लायरों के समक्ष शर्त रखी है कि उन्हें दो साल में स्थानीय इकाई लगानी होगी। धीरे-धीरे स्थानीय इनपुट बढ़ाना होगा। आरबीआइ ने करेंसी नोटों के लिए सिक्योरिटी फीचर्स और फाइबर की सप्लाई के दो टेंडर रद कर दिये हैं ताकि इनमें मेक इन इंडिया की शर्तो को शामिल किया जा सके।
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