RBI बोर्ड की बैठक में गवर्नेंस फ्रेमवर्क पर नहीं बनी राय-अभी और होगी चर्चा
बैठक में मौजूदा आर्थिक स्थिति, वैश्विक और घरेलू चुनौतियों के साथ तरलता की स्थिति को लेकर चर्चा की गई।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। नए गवर्नर शक्तिकांत दास के नेतृत्व में हुई आरबीआई बोर्ड की बैठक में गवर्नेंस फ्रेमवर्क को लेकर चर्चा हुई। बैठक में हालांकि इस मसले पर कोई सहमति नहीं बनी और यह तय किया गया कि आगे भी इस पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
करीब चार घंटों तक चली बैठक के दौरान देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति की समीक्षा के साथ वैश्विक और घरेलू चुनौतियों पर भी चर्चा की गई। इसके अलावा तरलता संकट की स्थिति की भी समीक्षा की गई।
बैठक के बाद जारी बयान में आरबीआई ने कहा, ‘बोर्ड ने केंद्रीय बैंक के गवर्नेंस फ्रेमवर्क पर विचार विमर्श किया और यह तय किया गया कि इस मसले पर और भी विचार किए जाने की जरूरत है।’ गवर्नर बनने के बाद दास की पहली बोर्ड मीटिंग है। दास सोमवार को ऊर्जित पटेल के अचानक इस्तीफे के बाद आरबीआई के 25वें गवर्नर बने हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के चीफ जनरल मैनेजर जोस जे कट्टूर ने बताया कि बोर्ड की बैठक में पूर्व गवर्नर ऊर्जित पटेल के बतौर डिप्टी गवर्नर और गवर्नर किए गए कामों की सराहना की गई। वेबसाइट पर जारी बयान के मुताबिक ''ट्रेंड एंड प्रोग्रेस ऑफ बैंकिंग इन इंडिया (2017-18)'' को लेकर भी चर्चा हुई।
गौरतलब है कि आरबीआई के पास जमा 9.43 लाख करोड़ रुपये के रिजर्व कैपिटल को लेकर सरकार के साथ विवाद की स्थिति बनी हुई है। माना जाता है कि यह उन कई विवादों में से एक था, जिसकी वजह से ऊर्जित पटेल को इस्तीफा देना पड़ा था।
पिछली बोर्ड बैठक में यह तय किया गया था कि पीसीए नियमों में ढील दिए जाने का फैसला आरबीआई की निगरानी समिति को भेजा जाएगा। प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) के तहत सरकार ने 21 सरकारी बैंकों में से 11 के नए ब्रांच खोलने और कर्ज बांटने पर प्रतिबंध लगा रखा है। आरबीआई से इस नियमन में राहत दिए जाने की मांग हो रही थी।
आरबीआई बोर्ड में सरकार के प्रतिनिधि यह मांग कर रहे हैं कि आरबीआई का संचालन बोर्ड के जरिए किया जाना चाहिए, न कि केवल प्रबंधन द्वारा।
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