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RBI ने सभी वाणिज्यिक और सहकारी बैंकों को डिवीडेंट का भुगतान करने से रोका, जानिए क्या पड़ेगा प्रभाव

इससे पहले सरकार ने अपनी सभी लाभकारी कंपनियों को डिवीडेंट के रूप में अपनी शुद्ध आय का कम से कम 20 फीसद का भुगतान करना अनिवार्य कर दिया था।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Fri, 17 Apr 2020 05:18 PM (IST)Updated: Sat, 18 Apr 2020 07:03 PM (IST)
RBI ने सभी वाणिज्यिक और सहकारी बैंकों को डिवीडेंट का भुगतान करने से रोका, जानिए क्या पड़ेगा प्रभाव
RBI ने सभी वाणिज्यिक और सहकारी बैंकों को डिवीडेंट का भुगतान करने से रोका, जानिए क्या पड़ेगा प्रभाव

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास द्वारा शुक्रवार सुबह एक वीडियो प्रेस कांफ्रेंस की गई, जिसमें उन्हें अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति की जानकारी दी और कई घोषणाएं भी कीं। दास ने इस प्रेस कांफ्रेंस में बैंकों को वित्त वर्ष 2020 के लिए डिवीडेंट का ऐलान नहीं करने देने की घोषणा भी की है। इस तरह आरबीआई ने शुक्रवार को सभी वाणिज्यिक और सहकारी बैंको को अपने शेयरधारकों और प्रमोटर ग्रुप्स को डिवीडेंट के भुगतान से रोक दिया है। आरबीआई ने कोरोना वायरस के कारण अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे प्रभाव के और अधिक समय तक जारी रहने व फाइनेंशियल सिस्टम की सेहत के खतरे में होने के डर के चलते यह घोषणा की है।

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आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने प्रेस कांफ्रेंस में लिक्विडिटी बढ़ाने के उपायों की घोषणा के बीच कहा, 'कोरोना वायरस के चलते हो रहे आर्थिक नुकसान को देखते हुए वाणिज्यिक और सहकारी बैंक आगामी निर्देशों तक वित्त वर्ष 2020 के लिए डिवीडेंट का ऐलान नहीं करेंगे।' दास ने आगे कहा, 'इस प्रतिबंध की समीक्षा सितंबर 2020 तिमाही के अनुसार बैंकों की वित्तीय स्थिति के आधार पर की जाएगी।'

केनरा रोबेको एएमसी के अवनीश जैन ने कहा, 'बैंकों से डिवीडेंट भुगतान को रोकने से सरकार के नॉन-टैक्स राजस्व पर प्रभाव पडे़गा, जो पहले सी ही तनावग्रस्त राजकोषीय स्थिति को और खराब कर देगा।' अधिकांश निजी क्षेत्र के बैंक बहुत कम डिवीडेंट का भुगतान करते हैं। वहीं, सरकारी बैंकों को सरकार को सालाना भारी भुगतान करना पड़ता है। वास्तव में, साल 2018 के बाद से सरकार ने अपनी सभी लाभकारी कंपनियों को डिवीडेंट के रूप में अपनी शुद्ध आय का कम से कम 20 फीसद का भुगतान करना अनिवार्य कर दिया है।

आरबीआई गवर्नर ने अपनी वीडियो प्रेस कांफ्रेंस में कई घोषणाएं की हैं। इनमें रिवर्स रेपो रेट में 0.25 फीसद की गिरावट की घोषणा, सिस्टम में LTRO 2.0 के जरिए 50,000 करोड़ रुपये डालने से शुरुआत करने की घोषणा, बैंक क्रेडिट फ्लो में छूट के लिए नए प्रस्ताव पर विचार करने की घोषणा, एनपीए की 90 दिन की अवधि में मोरेटोरियम की अवधि शामिल नहीं करने की घोषणा और बैंकों का लिक्विडिटी कवरेज रेश्यो (LCR) 100 से घटाकर 80 करने जैसी प्रमुख घोषणाएं शामिल हैं। 


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