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रेटिंग एजेंसी फिच व एसबीआइ ने माना- सरकार के कदमों का दिखेगा असर, जारी रखने होंगे सुधार

चालू वित्त वर्ष के दौरान देश की आर्थिक विकास दर के अभी भी काफी नीचे रहने के अनुमान हैं लेकिन एक के बाद एक आर्थिक एजेंसियां मानने लगी हैं कि पहले के अनुमान के मुकाबले स्थिति ज्यादा बेहतर है।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Fri, 20 Nov 2020 08:49 PM (IST)Updated: Sat, 21 Nov 2020 07:51 AM (IST)
रेटिंग एजेंसी फिच व एसबीआइ ने माना- सरकार के कदमों का दिखेगा असर, जारी रखने होंगे सुधार
जीडीपी के लिए प्रतीकात्मक तस्वीर PC: ANI

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कोरोना से बिगड़ी अर्थव्यवस्था की चाल को सुधारने के लिए सरकार के स्तर पर जो लगातार प्रयास हो रहे हैं, उसने हालात को थामने में काफी अहम भूमिका निभाई है। चालू वित्त वर्ष के दौरान देश की आर्थिक विकास दर के अभी भी काफी नीचे रहने के अनुमान हैं, लेकिन एक के बाद एक आर्थिक एजेंसियां मानने लगी हैं कि पहले के अनुमान के मुकाबले स्थिति ज्यादा बेहतर है। उदाहरण के तौर पर एसबीआइ की रिपोर्ट इकोरैप ने वर्ष 2020-21 के दौरान भारत की आर्थिक विकास दर में गिरावट के अनुमान को 12.5 फीसद से घटा कर 10.7 फीसद कर दिया है।

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अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी फिच ने भी अनुमान में सुधार करते हुए अब इकोनॉमी में 10.5 फीसद की गिरावट की बात कहती है। फिच ने यह भी कहा है कि कोरोना महामारी के संदर्भ में भारत ने जो कदम उठाये हैं उससे यहां मध्यावधि में आर्थिक वृद्धि दर की रफ्तार के ठीक ठाक रहने की उम्मीद है। अगर विकास दर को और तेज करना है तो भारत सरकार को निवेश व उत्पादकता को बेहतर करने के लिए और भी सुधारवादी कदम उठाने होंगे।

फिच के मुताबिक आने वाली तिमाहियों में कोरोना की वजह से कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन प्रभावित होंगे, बैंकिंग व गैर बैंकिंग कंपनियों की वित्तीय स्थिति खराब होगी। फिच ने हाल के महीनों में श्रम सुधारों के संदर्भ में उठाये गये कदमों की काफी तारीफ की है। कृषि सुधारों के तहत बिचौलियों को समाप्त करने के कदम को भी सही ठहराया है। लेकिन यह भी कहा है कि अर्थव्यवस्था पर लंबे समय तक दबाव का खतरा है। एसबीआइ व फिच, दोनो का कहना है कि कोरोना का असर लंबे समय तक रहेगा और भारत सरकार की भावी आर्थिक नीति इस सच्चाई को स्वीकार करते हुए होनी चाहिए।

एसबीआइ के ग्रूप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर डॉ. सौम्य कांति घोष की तरफ से तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की चाल क्या रहेगा यह बहुत हद तक इस बात से तय होगा कि कोरोना वायरस की वैक्सीन कब निकलती है। सितंबर, 2020 में कोरोना महामारी के उच्चतम स्तर पर पहुंचने की बात हो रही थी लेकिन दीवाली बाद का पखवाड़ा काफी महत्वपूर्ण है। फिर से कोरोना का प्रसार तेज सकता है। जितनी जल्दी कोरोना का वैक्सीन बाजार में आ जाएगा उतनी जल्दी ही ग्राहकों का भरोसा भी लौटेगा। अगले वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर, 2021) में ही पूरी तरह से रिकवरी होने की गुंजाइश है।


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