कोई जमाखोरी नहीं, सभी सामान एमआरपी पर ही बिक रहेः पासवान
पासवान ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान देशभर में जनवितरण प्रणाली (PDS) के जरिए पात्र लाभार्थियों को मुफ्त में अनाज का वितरण किया जा रहा है।
नई दिल्ली, आइएएनएस। केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने लॉकडाउन के इस मुश्किल वक्त में जरूरी सामान की कथित जमाखोरी और ऊंची कीमतों पर बेचे जाने के आरोपों को सोमवार को खारिज किया। उन्होंने कहा कि सरकारी एजेंसियां बाजार पर करीबी निगाह रख रही हैं और जरूरी सामान MRP (अधिकतम खुदरा मूल्य) पर ही बेचे जा रहे हैं। पासवान ने देशवासियों को आश्वस्त किया है कि लॉकडाउन की अवधि में और उसके बाद भी देशभर में सभी तरह के जरूरी सामान उपलब्ध रहेंगे। देश के कुछ हिस्सों में सब्जियों और फलों के दाम में बढ़ोत्तरी से जुड़ी रिपोर्ट्स के बारे में पूछे जाने पर मंत्री ने कहा कि आलू, प्याज और टमाटर जैसी सब्जियों का पर्याप्त स्टॉक है और चिंता की कोई बात नहीं है।
मोदी ने कहा, ''सब्जियों की कोई कमी नहीं है। अगर देश के किसी हिस्से में दाम में वृद्धि देखने को मिलता है तो यह ट्रांसपोर्टेशन से जुड़े मुद्दे के कारण हो सकता है। मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि खाने-पीने के सामान, सब्जियों या अनाज की कोई कमी नहीं है। अनाज सहित जरूरी सामानों के दाम पूरी तरह नियंत्रण में हैं।''
विपक्षी दलों द्वारा लोगों के लिए अनाज के सभी सरकारी भंडारों को खोले जाने की मांग के बारे में पासवान ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान देशभर में जनवितरण प्रणाली (PDS) के जरिए पात्र लाभार्थियों को मुफ्त में अनाज का वितरण किया जा रहा है।
केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री ने कहा, ''पश्चिम बंगाल सहित कुछ राज्यों ने फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) के गोदामों से अनाज का उठाव नहीं किया था। मैंने इस मुद्दे पर बंगाल के मंत्री से बात की और अब बंगाल सरकार ने मुफ्त वितरण के लिए केंद्र के गोदामों से अनाज का उठाव शुरू कर दिया है।''
देश के सुदूर गांवों और खासकर पूर्वोत्तर के राज्यों में मुफ्त राशन के वितरण को सुनिश्चित करने के लिए FCI ने असम को 2.16 लाख टन, अरुणाचल प्रदेश को 17,000 टन, मेघालय को 38,000 टन, मणिपुर को 18,000 टन, त्रिपुरा को 33,000 टन और नगालैंड एवं मिजोरम को पर्याप्त अनाज उपलब्ध कराए हैं।
पासवान ने कहा, ''इन राज्यों को जरूरी सामान उपलब्ध कराना मेरी पहली प्राथमिकता थी क्योंकि इन क्षेत्रों में रेलवे नेटवर्क की पहुंच बहुत सीमित है। मैंने FCI के अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने को कहा था कि पूर्वोत्तर के हमारे भाइयों और बहनों को उनका हिस्सा जरूर मिले।''