रघुराम राजन चाहते थे दूसरा कार्यकाल, सरकार से नहीं हो पाया समझौता
राजन ने कहा मैं अधूरे कामों को निपटाने के लिए रुकना चाहता था लेकिन सरकार के साथ दूसरे टर्म के लिए सही समझौता हो नहीं सका।
नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गर्वनर रघुराम राजन का कार्यकाल 4 सितंबर को समाप्त हो रहा है। विदाई से ठीक पहले राजन ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यु में कहा कि मैं रुकना चाहता था, लेकिन ऐसा हो न सका। राजन ने कहा मैं अधूरे कामों को निपटाने के लिए रुकना चाहता था लेकिन सरकार के साथ दूसरे टर्म के लिए सही समझौता हो नहीं सका। गौरतलब है कि उर्जित पटेल राजन का कार्यकाल समाप्त होने के बाद गर्वनर पद संभालेंगे, जो अभी आरबीआई में डिप्टी गवर्नर के पद पर कार्यरत हैं।
कई अवसरों पर लीक से हटकर बोलने को लेकर राजन ने अपनी आलोचनाओं को खारिज करते हुए कहा कि किसी भी पब्लिक पर्सनालिटी या हस्ती का यह कर्तव्य है कि वे युवाओं को अच्छे नागरिक होने के विषय में बताएं। राजन विभिन्न मुद्दों पर अपने मुखर विचारों के लिए सुर्खियों में रहे हैं। कई मुद्दों पर उनके विचारों को सरकार के खिलाफ देखा गया। इंटरव्यू में राजन ने देश में बढ़ती इनटॉलरेंस पर अपनी विवादास्पद स्पीच का बचाव किया। इस बयान से सरकार काफी असहज हो गई थी।
राजन ने कहा कि कई बार कई मुद्दों पर मतभेद हो सकते हैं। मैं अपने अधूरे काम पूरे करने के लिए रुकना चाहता था। लेकिन दूसरे कार्यकाल के लि मुझे लगता है कि हमारे बीच एग्रीमेंट नहीं हो सकता। उन्होंने यह भी कहा कि मेरा टर्म पूरा हो चुका था, इसलिए मुझे एक नया टर्म चाहिए था।
सरकार के साथ दूसरे कार्यकाल के मुद्दे पर बातचीत को लेकर राजन ने कहा कि बातचीत शुरू हुई और यह चल ही रही थी लेकिन हमें लगा कि इस मुद्दे पर कम्युनिकेशन को आगे जारी रखने का तुक नहीं है। ऊंची ब्याज दरों के संबंध में आलोचनों का जवाब देते हुए राजन ने कहा कि उन्होंने ब्याज दरों में कटौती के लिए हर उपलब्ध विकल्प का इस्तेमाल किया। राजन 4 सितंबर को आरबीआई गवर्नर का रद छोड़ेंगे। उनसे पहले डी सुब्बारॉव, बिमल जालान, सी रंगराजन समेत कई गवर्नर को एक्सटेंशन दिया गया है।