मालभाड़ा बढ़ने के बाद भड़केगी महंगाई
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। मालभाड़े में 5.8 फीसद की वृद्धि का खामियाजा अंतत: आम जनता को ही उठाना पड़ेगा। आने वाले दिनों में न सिर्फ सीमेंट, स्टील बल्कि पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में भी वृद्धि हो सकती है। सीमेंट व स्टील सहित तमाम औद्योगिक उत्पादों की ढुलाई बढ़ने से घर बनाने से लेकर टीवी, फ्रिज तक महंगे हो सकते हैं। रेल मंत्री की घोषणा के मुताबिक अगर साल में दो बार माल भाड़ा बढ़ाया गया तो इससे महंगाई की दर में और वृद्धि होनी भी तय है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। मालभाड़े में 5.8 फीसद की वृद्धि का खामियाजा अंतत: आम जनता को ही उठाना पड़ेगा। आने वाले दिनों में न सिर्फ सीमेंट, स्टील बल्कि पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में भी वृद्धि हो सकती है। सीमेंट व स्टील सहित तमाम औद्योगिक उत्पादों की ढुलाई बढ़ने से घर बनाने से लेकर टीवी, फ्रिज तक महंगे हो सकते हैं। रेल मंत्री की घोषणा के मुताबिक अगर साल में दो बार माल भाड़ा बढ़ाया गया तो इससे महंगाई की दर में और वृद्धि होनी भी तय है।
स्टील कंपनियों ने कहा है कि मालभाड़ा बढ़ने से घरेलू बाजार में स्टील की कीमतें पांच से आठ फीसद तक बढ़ सकती हैं। स्टील उद्योग के लिए यह दोहरी मार है, क्योंकि उसे कोयले के साथ ही एक अन्य प्रमुख कच्चा माल आयरन ओर [लौह अयस्क] की ढुलाई पर भी ज्यादा खर्च करना पड़ेगा। स्टील से बनने वाले सारे उपकरणों पर इसका असर पड़ेगा। यही वजह है कि स्टील कंपनियों ने रेल बजट 2013-14 को महंगाई को बढ़ाने वाला करार दिया है।
सीमेंट कंपनियों पर भी दोहरी मार झेलनी होगी। रेल भाड़े में इस वृद्धि से सीमेंट की 50 किलो वाली बोरी सात रुपये तक महंगी हो सकती है। सीमेंट कंपनियों ने भी कहा है कि उनकी लागत बढ़ेगी। वैसे, कीमत बढ़ाने के बारे में वे गुरुवार को पेश होने वाले आम बजट के बाद फैसला करेंगी। स्टील और सीमेंट की खुदरा कीमत बढ़ने से आम आदमी के लिए घर बनाना महंगा हो जाएगा। यही नहीं कोयले की ढुलाई का बोझ बिजली कंपनियों को भी उठाना पड़ेगा। कोल इंडिया के सीएमडी एसएन राव ने संकेत भी दिए कि इससे बिजली की दरें बढ़ सकती हैं।
पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों पर भी रेल बजट का असर दिखाई देगा। सरकारी तेल कंपनियां लगभग 33 फीसद डीजल, रसोई गैस और केरोसिन की ढुलाई रेलवे से करती हैं। अब उन्हें भी ज्यादा रेल भाड़ा देना होगा। इंडियन ऑयल ने कहा है कि इसका उस पर 500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। तेल कंपनियों ने कहा है कि फिलहाल इस वृद्धि का बोझ आम जनता पर नहीं डाला जाएगा, लेकिन अर्थशास्त्री मानते हैं कि आगे चलकर कंपनियां यह कदम उठा सकती हैं।
मालभाड़े में वृद्धि आगे चलकर किसानों के लिए भी महंगा पड़ सकता है, क्योंकि उर्वरक की ढुलाई का खर्च बढ़ेगा। इससे सरकार की उर्वरक सब्सिडी बिल बढ़ जाएगा। पहले ही सरकार पर 61 हजार करोड़ रुपये का सब्सिडी बिल है, जिसे कम करने में वह जुटी है। ऐसे में इसका बोझ किसानों पर डालने का कदम उठाया जा सकता है। देश में उर्वरक की ढुलाई बड़े पैमाने पर रेलवे से की जाती है। यही नहीं तमाम तरह के खाद्यान्नों के लिए भी भाड़ा बढ़ा दिया गया है। मोटे अनाज, दाल, खाद्य तेल की ढुलाई बढ़ने से इसका बोझ देर सबेर ग्राहकों को उठाना ही पड़ेगा।