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80:20 गोल्ड इंपोर्ट स्कीम के बचाव में बोले रघुराम राजन, पढ़िये इस स्कीम के बारे में

रघुराम राजन ने कहा रिजर्व बैंक का प्रयास यह देखने का था कि 80:20 योजना के संशोधन में उपयुक्त मानदंडों का पालन किया जा रहा था या नहीं

By Surbhi JainEdited By: Published: Wed, 14 Mar 2018 12:23 PM (IST)Updated: Thu, 15 Mar 2018 09:13 AM (IST)
80:20 गोल्ड इंपोर्ट स्कीम के बचाव में बोले रघुराम राजन, पढ़िये इस स्कीम के बारे में
80:20 गोल्ड इंपोर्ट स्कीम के बचाव में बोले रघुराम राजन, पढ़िये इस स्कीम के बारे में

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने देश के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए सफाई दी है। उन्होंने बताया जब वर्ष 2014 में सरकार में बदलाव हो रहा था उस समय इस गोल्ड इंपोर्ट योजना को उदार बनाया गया था। मई 2014 में 80:20 स्कीम में संशोधन किये गये थे। संशोधन के तहत प्रीमियर और स्टार ट्रेडिंग घरानों को सोना का आयात करने के लिए मंजूरी मिली थी।

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नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने पाया है कि जून 2014 से नवंबर 2014 तक करीब 13 ट्रेडिंग घरानों को सोने के आयात से 4500 करोड़ रुपये का अप्रत्याशित लाभ हुआ है। न्यूज एजेंसी ने यह खबर एक सामाचार चैनल का हवाला देते हुए प्रकाशित की है।

रघुराम राजन वर्ष 2013 से 2016 तक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) गवर्नर रहे थे। वहीं गोल्ड इंपोर्ट स्कीम वर्ष 2014 में लॉन्च की गई थी। उन्होंने बताया कि यह स्कीम सही और नियमों के दायरे में रही है। इस दौरान पी चिदंमबरम केंद्रीय वित्त मंत्री रहे थे।

बीते दिन एक बयान में वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि वह इसकी जांच करेगा कि कैसे यूपीए सरकार की ओर से पेश 80:20 स्कीम के तहत गोल्ड इंपोर्ट करने पर निजी कंपनियों को फायदा हुआ। जबकि इस दौरान सरकार में बदलाव हो रहा था। साथ ही वह इस मामले में शामिल लोगों के खिलाफ हर मुमकिन कदम उठाएगा। इससे पहले केवल बैंक और सरकारी उपक्रम जैसे एमएमटीसी और एसटीसी को 80:20 स्कीम के तहत घरेलू इस्तेमाल के लिए सोने के आयात के लिए मंजूरी मिली हुई थी।

राजन ने यह भी बताया कि रिजर्व बैंक का प्रयास यह देखने का था कि योजना के संशोधन में उपयुक्त मानदंडों का पालन किया जा रहा था या नहीं। इसलिए हमारा काम यह देखने का था कि क्या यह तार्किक आधार पर किया गया है या नहीं।

क्या है 80:20 स्कीम

80:20 योजना के तहत सोना आयात करने पर 20 फीसद को जेवर के रूप में निर्यात करना जरूरी था। इसे चालू खाते का घाटा कम करने के लिए पेश किया गया था। मोदी सरकार ने 28 नवंबर, 2014 को इस योजना को बंद करने का फैसला लिया।

संप्रग सरकार जाने के महज कुछ घंटे पहले तत्कालीन 80:20 स्वर्ण आयात योजना के तहत सात निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया। इनमें नीरव मोदी के मामा मेहुल चौकसी की कंपनी गीतांजलि ज्वैलर्स शामिल थी। 2013 के अगस्त में चिदंबरम ने 80:20 योजना लागू की थी जिसमें केवल एमएमटीसी और पीएसयू को सोना आयात करने का अधिकार दिया गया था। लेकिन 16 मई, 2014 को जिस दिन लोकसभा चुनाव के नतीजे आ रहे थे और कांग्रेस हार रही थी, उसी दिन चिदंबरम ने सात निजी कंपनियों को इसकी छूट दे दी। इनमें चौकसी की कंपनी गीतांजलि भी शामिल थी।


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