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घरेलू डेयरी क्षेत्र में विकास के लिए अपार संभावनाएं: राधा मोहन

सहकारी डेयरी संगठनों को 6.5 फीसद के रियायती दर पर कर्ज मुहैया कराया जाएगा, जिसे अगले 10 सालों में लौटाने की छूट होगी

By Surbhi JainEdited By: Published: Fri, 14 Sep 2018 10:50 AM (IST)Updated: Fri, 14 Sep 2018 10:50 AM (IST)
घरेलू डेयरी क्षेत्र में विकास के लिए अपार संभावनाएं: राधा मोहन
घरेलू डेयरी क्षेत्र में विकास के लिए अपार संभावनाएं: राधा मोहन

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। घरेलू डेयरी उद्योग के लिए वैश्विक स्तर पर अपार संभावनाएं हैं, जिसके दोहन के लिए ही डेयरी आधारभूत संरचना विकास निधि का गठन किया गया है। इससे डेयरी क्षेत्र के विकास को रफ्तार मिलेगी। निधि की पहली किश्त नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) को जारी करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन ने कहा कि इससे देश के तकरीबन एक करोड़ दुग्ध उत्पादकों को लाभ मिलेगा।

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सहकारी दुग्ध संगठनों के मार्फत संगठित क्षेत्रों में दूध का उत्पादन करने के लिए नाबार्ड ने 8004 रुपये का कोष गठित किया है। इस धनराशि का उपयोग राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के मार्फत किया जाएगा। इसी के तहत कृषि मंत्री सिंह ने बोर्ड को करोड़ रुपये की पहली किश्त जारी की। सहकारी डेयरी संगठनों को 6.5 फीसद के रियायती दर पर कर्ज मुहैया कराया जाएगा, जिसे अगले 10 सालों में लौटाने की छूट होगी। सिंह ने इस मौके पर कहा कि योजना के तहत स्वीकृत 3 राज्यों पंजाब, हरियाणा व कर्नाटक की 15 परियोजनाओं को वित्तीय मदद मुहैया कराई गई है। एनडीडीबी ने करोड़ की राशि छह दुग्ध यूनियनों को सौंपी।

सिंह बताया कि इसका प्रमुख उद्देश्य देश में अतिरिक्त 1.26 करोड़ लीटर दूध की प्रतिदिन प्रोसेसिंग करना है। जबकि दूध से पाउडर बनाने की क्षमता 2.10 करोड़ टन और दूध को ठंडा करने (चिलिंग) की क्षमता 1.40 करोड़ लीटर बढ़ानी है। उन्होंने कहा कि इससे 50 हजार गांवों के लगभग एक करोड़ पशु पालकों को फायदा होगा। इससे भारी संख्या में कुशल व अकुशल युवाओं को रोजगार मिलेगा।

सहकारी डेयरी क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी पर चिंता जताते हुए एनडीडीबी के चेयरमैन बी. रथ ने कहा कि इस फंड से इस क्षेत्र को आधुनिक बनाने में मदद मिलेगी। इसे दुग्ध यूनियनें रियायती दर पर लोन उठाकर अपनी इकाइयों को आधुनिक बना सकती हैं। गुजरात सहकारी मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन के प्रबंध निदेशक आरएस सोढ़ी ने कहा कि सहकारी संगठनों की ओर से कर्ज के लिए आवेदन भेजे गए हैं। उनकी योजना मौजूदा 3.6 करोड़ लीटर रोजाना दूध के उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर आठ करोड़ लीटर करना है। इस लक्ष्य को अगले 10 सालों में प्राप्त कर लिया जाएगा।


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