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NCAER ने घटाया ग्रोथ अनुमान, ग्रोथ को गति देने के लिए खर्च बढ़ाए जाने को बताया जरूरी

एनसीएईआर के फेलो सुदीप्तो मंडल ने बताया कि ग्रोथ रेट में गिरावट की मुख्य वजह खपत में कमी है।

By NiteshEdited By: Published: Sun, 17 Nov 2019 10:17 AM (IST)Updated: Sun, 17 Nov 2019 10:25 AM (IST)
NCAER ने घटाया ग्रोथ अनुमान, ग्रोथ को गति देने के लिए खर्च बढ़ाए जाने को बताया जरूरी
NCAER ने घटाया ग्रोथ अनुमान, ग्रोथ को गति देने के लिए खर्च बढ़ाए जाने को बताया जरूरी

नई दिल्ली, पीटीआइ। इकोनॉमिक थिंक टैंक एनसीएईआर ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान घटाकर 4.9 परसेंट तक कर दिया है। ग्रोथ रेट में गिरावट का यह अनुमान लगभग सभी सेक्टर में मौजूदा सुस्ती को देखते हुए लगाया गया है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान जीडीपी ग्रोथ रेट पांच परसेंट रही थी, जो पिछले छह वर्षो का निचला स्तर है।

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दिल्ली आधारित नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) ने पूरे वित्त वर्ष (2019-20) के लिए भी जीडीपी ग्रोथ रेट 4.9 परसेंट ही रहने का अनुमान लगाया है। पिछले वर्ष यह 6.8 परसेंट रही थी। एनसीएईआर के मुताबिक अकेले मौद्रिक नीति के माध्यम से ग्रोथ रेट को पटरी पर लाना संभव नहीं होगा। काउंसिल ने सलाह दी है कि इसके लिए राजस्व प्रोत्साहन वाले कदम उठाए जा सकते हैं। एनसीएईआर के फेलो सुदीप्तो मंडल ने बताया कि ग्रोथ रेट में गिरावट की मुख्य वजह खपत में कमी है। ग्रोथ रेट को गति देने के लिए राजकोषीय उपाय अपनाने की जरूरत है।

राजस्व घाटे को नियंत्रण में रखते हुए खर्च बढ़ाया जाना चाहिए। मंडल ने कहा कि इसके लिए कई तरीके हैं। हमारे पास कड़े फैसले लेने वाला केंद्रीय नेतृत्व है। चालू वित्त वर्ष में कई मदों में खर्च के लिए बहुत गुंजाइश है। इसलिए यह कहना भी गलत होगा कि खर्च की गुंजाइश नहीं है। मंडल के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में खर्च बहुत कम हुआ है, यहां तक कि सरकार ने भी अपने सारे भुगतान नहीं चुकाए हैं। इसके अलावा हमें कई तरह के सुधारों की जरूरत है। सरकार को अप्रत्यक्ष करों और सीमा शुल्क में छूट देने से बचना चाहिए। कॉरपोरेट टैक्स में कमी करने की कोई जरूरत नहीं थी। इसका कोई फायदा नजर नहीं आ रहा, कंपनियों ने टैक्स लाभ मिलने के बाद निवेश नहीं बढ़ाया। इससे हालात और खराब होंगे।

एनसीएईआर ने बताया कि इस महीने के अंत तक सरकार जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान जारी करेगी। दूसरी तिमाही के लिए यह दर 4.4-4.9 प्रतिशत होनी चाहिए। दूसरी तिमाही के दौरान निर्यात में कमी आई है। मांग में कमी के चलते निवेश और कारोबारी माहौल में गिरावट दर्ज की गई है। वित्त वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही के दौरान 8.1 परसेंट की ग्रोथ रेट दर्ज करने के बाद पिछली कुछ तिमाहियों से जीडीपी विकास दर लगातार गिर रही है। हालांकि सरकार लगातार उद्योग जगत को भरोसा दिला रही है कि यह गिरावट अस्थायी है और इकोनॉमी जल्द इससे उबर जाएगी।

अन्य एजेंसियों का अनुमान: एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की विकास दर का अनुमान 50 आधार अंक घटाकर 6.5 प्रतिशत रखा था। ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) ने भी चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्घि के पूर्वानुमान में 1.3 प्रतिशत की बड़ी कमी करते हुए उसे 5.9 प्रतिशत रखा था। प्रमुख ग्लोबल रेटिंग एजेंसियों, स्टैंडर्ड एंड पूअर्स (एसएंडपी) और फिच ने भी भारत की विकास दर को लेकर पूर्वानुमान में कटौती की है। एसएंडपी ने चालू वित्त वर्ष में देश का संशोधित विकास दर अनुमान 6.3, जबकि फिच ने 6.6 प्रतिशत कर दिया था। अक्टूबर के पहले सप्ताह में भारतीय रिजर्व बैंक ने भी मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक के बाद चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्घि दर का अनुमान घटाकर 6.1 प्रतिशत कर दिया था। 


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