Move to Jagran APP

एमपी की बासमती को जीआइ टैगिंग देने पर पंजाब ने जताई नाराजगी, राइस एक्‍सपोर्टर ने भी किया विरोध

भारत में हरियाणा दिल्ली हिमाचल प्रदेश उत्तराखंड पश्चिमी उत्तर-प्रदेश और जम्मू और कश्मीर के कुछ क्षेत्र में पैदा होने वाली बासमती की ही जीआइ टैगिंग की जाती है।

By Manish MishraEdited By: Published: Thu, 06 Aug 2020 09:01 AM (IST)Updated: Thu, 06 Aug 2020 09:01 AM (IST)
एमपी की बासमती को जीआइ टैगिंग देने पर पंजाब ने जताई नाराजगी, राइस एक्‍सपोर्टर ने भी किया विरोध
एमपी की बासमती को जीआइ टैगिंग देने पर पंजाब ने जताई नाराजगी, राइस एक्‍सपोर्टर ने भी किया विरोध

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर मध्य प्रदेश के बासमती चावल की जीआइ (जियोग्राफिल इंडीकेशन) टैगिंग देने को रोक लगाने की मांग की है। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि जीआइ टैगिंग व्यवस्था में छेड़छाड़ से भारतीय बासमती के 33 हजार करोड़ के निर्यात बाजार को नुकसान हो सकता है और इसका लाभ पाकिस्तान को मिल सकता है। भारत में हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिमी उत्तर-प्रदेश और जम्मू और कश्मीर के कुछ क्षेत्र में पैदा होने वाली बासमती की ही जीआइ टैगिंग की जाती है। ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर एसोसिएशन ने भी इसका कड़ा विरोध किया है।

loksabha election banner

कैप्टन ने मोदी से कहा है कि भारत में बासमती की खेती करने वाले किसानों और निर्यातकों के हितों की रक्षा के लिए वे अधिकारियों को जीआइ टैगिंग की व्यवस्था में छेड़छाड़ करने से रोकें। मुख्यमंत्री ने कहा है कि जियोग्राफिकल इंडिकेशन ऑफ गुड्स (रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन) एक्ट, 1999 के तहत जीआइ टैग उन कृषि उत्पादों को दिया जाता है जो किसी क्षेत्र विशेष में विशेष गुणवत्ता और विशेषताओं के साथ उत्पन्न होता है। इन विशेषताओं के चलते ही ऐसे उत्पादों को उनके भौगोलिक उत्पत्ति के आधार पर जीआइ टैगिंग दी जाती है। भारत में जाआइ टैगिंग वाले बासमती को उसकी गुणवत्ता, स्वाद और खुशबू के लिए दी जाती है। 

हिमालय की तलहटी में बसे क्षेत्रों में इंडो-गेंजेटिक क्षेत्र में पैदा होने वाली बासमती का स्वाद और खुशबू की पहचान सारे विश्व में विख्यात है। उन्होंने कहा है कि मध्य प्रदेश, बासमती का उत्पादन करने वाले इस इस विशेष क्षेत्र में नहीं आता। इसीलिए इसे पहले ही इसमें शामिल नहीं किया गया था। अब मध्य प्रदेश को इसमें शामिल करना ना सिर्फ जीआइ टैगिंग एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन होगा बल्कि यह इसके उद्देश्य को ही बर्बाद कर देगा।

मुख्यमंत्री ने कहा है कि इससे पहले 2017-18 में भी मध्य प्रदेश ने जीआइ टैगिंग हासिल करने का प्रयास किया था पर तब जीआइ टैगिंग के रजिस्ट्रार और इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी अपीलेट बोर्ड ने भी खारिज कर दिया था। मद्रास हाई कोर्ट से भी मध्य प्रदेश को राहत नहीं मिली थी। यही नहीं भारत सरकार द्वारा गठित की गई कृषि विज्ञानियों की समिति ने भी इस दावे को खारिज कर दिया था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.