स्वच्छ भारत जैसी योजनाओं पर खर्च होगा सरकारी कंपनियों का CSR फंड
उपक्रमों को सरकार ने 30 फीसद फंड पिछड़े जिलों पर खर्च करने के लिए कहा
नई दिल्ली (नितिन प्रधान)। साल में सार्वजनिक उपक्रम अपने कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) फंड की अधिकतम राशि सरकार की वरीयता के मुताबिक खर्च करेंगे। इनमें स्वच्छ भारत अभियान जैसी योजनाओं के साथ-साथ देश के विकास में पीछे रह गए वैसे जिले शामिल हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री ने आस्पिरेशनल जिलों का नाम दिया है। सरकार ने सार्वजनिक उपक्रमों से कहा है कि उन्हें राष्ट्र निर्माण की सरकार की वरीयता के मुताबिक अपने सीएसआर फंड के खर्च का समन्वय बनाना चाहिए।
नियमों के मुताबिक मुनाफा अर्जित करने वाले प्रत्येक सार्वजनिक उपक्रम के लिए मुनाफे का दो फीसद सीएसआर गतिविधियों पर खर्च करना अनिवार्य है। यह नियम निजी कंपनियों पर भी लागू होता है। अभी तक सभी कंपनियां इस फंड के इस्तेमाल की रूपरेखा का निर्धारण और नियोजन खुद करती रही हैं। किंतु सूत्रों के मुताबिक साल 2018-19 में सरकार ने सार्वजनिक उपक्रमों से एक तयशुदा अंदाज में इस फंड का इस्तेमाल करने को कहा है।
सूत्रों के मुताबिक भारी उद्योग मंत्रलय के सार्वजनिक उपक्रम विभाग ने सभी कंपनियों से कहा है कि वे अपने सीएसआर फंड का निर्धारण इस प्रकार करें कि उसके 50 फीसद का उपयोग सरकार की सालाना थीम वाली योजनाओं के लिए हो। इसके तहत ये कंपनियां स्वच्छ भारत अभियान जैसी योजनाओं से जुड़ी परियोजनाओं पर राशि खर्च कर सकती हैं। इसके अतिरिक्त कुल फंड की 30 फीसद राशि को 115 आस्पिरेशनल या अति पिछड़े जिलों के विकास पर खर्च करने को कहा गया है।
डीपीई के मुताबिक फंड की शेष 20 फीसद राशि का इस्तेमाल केंद्रीय उपक्रम अपनी तरफ से चलायी जा रही परियोजनाओं पर खर्च कर सकते हैं। सूत्र बताते हैं कि 10 अप्रैल को पीएसयू डे पर डीपीई सचिव सीमा बहुगुणा ने कार्यक्रम में उपस्थित पीएसयू प्रमुखों के समक्ष इस एजेंडे को रखा।
खर्च करने के लिए होंगे 4,000 करोड़ रुपये
संसद में पेश पीएसयू सर्वे के मुताबिक साल 2016-17 में कंपनियों ने सीएसआर के तहत 3,336.50 करोड़ रुपये की राशि खर्च की थी। जबकि पिछले वित्त वर्ष में पीएसयू के पास खर्च करने के लिए 4,933.10 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध थी। इस राशि में पिछले साल की बची हुई राशि भी शामिल है। बीते साल कंपनियों को 1,27,602 करोड़ का शुद्ध लाभ हुआ। इसके मुताबिक चालू वित्त वर्ष में कंपनियों को सीएसआर गतिविधियों पर खर्च करने के लिए करीब 2,552 करोड़ उपलब्ध होंगे। इसमें बीते वर्ष की बची राशि को भी जोड़ लें तो यह 4,000 करोड़ बैठती है।