आरबीआइ बोर्ड की बैठक, एनपीए पर हुआ गहन मंथन
बैंकिंग सेक्टर को परेशान कर रहे मुद्दों पर विचार करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के बोर्ड की पिछले दिनों बैठक हुई।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। बैंकिंग सेक्टर को परेशान कर रहे मुद्दों पर विचार करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के बोर्ड की पिछले दिनों यहां बैठक हुई। इस बैठक में आरबीआइ गवर्नर उर्जित पटेल, आर्थिक मामलों के सचिव एससी गर्ग और वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने बैंकों के फंसे कर्ज यानी एनपीए समेत सभी मसलों पर चर्चा की।
प्राप्त सूचना के मुताबिक 18 सदस्यीय बोर्ड ने प्रॉम्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) फ्रेमवर्क पर विचार किया, जिसके तहत अभी 11 सरकारी बैंक रखे गए हैं। यह भी समझा जा रहा है कि इस बैठक में गैर बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (एनबीएफसी) के सामने पैदा हुए नकदी संकट पर भी चर्चा हुई। एनबीएफसी के सामने तरलता की यह समस्या आइएलएंडएफएस समूह में संकट सामने आने के बाद पैदा हुई है। समूह की कई कंपनियां को भुगतान में डिफॉल्ट होने के बाद सरकार ने एक अक्टूबर को आइएलएंडएफएस को अपने हाथों में लिया था।
आरबीआइ के एक सूत्र ने कहा कि सभी चार डिप्टी गवर्नर एनएस विश्वनाथन, विरल आचार्य, बीपी कानूनगो और महेश कुमार भी बैठक में शामिल थे। अगस्त में शामिल किए गए दो नए सदस्य एस गुरुमूर्ति और एसके मराठे भी बैठक में मौजूद थे। सूत्र ने कहा कि आरबीआइ को बोर्ड नवंबर के प्रथम सप्ताह में भी एक बैठक कर सकता है। यह बैठक इसलिए खास है कि कुछ ही दिन पहले भुगतान प्रणाली के लिए एक अलग नियामक के सवाल पर आरबीआइ ने सरकार से असहमति जाहिर की थी।
कैग ने एनपीए को लेकर रिजर्व बैंक पर उठाया सवाल
देश के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) राजीव महर्षि ने मौजूदा बैंकिंग संकट पर मंगलवार को आरबीआइ की भूमिका पर सवाल उठाया और पूछा कि जब बैंक भारी भरकम कर्ज दे रहे थे और जिसके कारण संपत्ति और देनदारी में असंतुलन पैदा हुआ और बड़े पैमाने पर फंसे कर्ज की समस्या पैदा हुई, तब नियामक क्या कर रहा था।
इंडियन स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी के लांच के मौके पर उन्होंने कहा कि हम सभी बता रहे हैं कि संकट का कैसे हल होगा। निश्चित रूप से पुनर्पूजीकरण जो कि सब्सिडी के लिए इस्तेमाल होने वाला बड़ा विचित्र शब्द है। पर कोई वास्तविक सवाल नहीं कर रहा कि नियामक क्या कर रहा था।