प्रिंट मीडिया में एफडीआइ की सीमा में ढील देने पर विचार
केंद्र सरकार प्रिंट मीडिया, कंस्ट्रक्शन और रिटेल सेक्टर के लिए FDI नियमों में कुछ रियायत करने पर विचार कर रही है
नई दिल्ली (जेएनएन)। केंद्र सरकार प्रिंट मीडिया, कंस्ट्रक्शन और रिटेल सेक्टर के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) के नियमों में ढील देने की तैयारी कर रही है। इससे इन क्षेत्रों में विदेशी निवेश को बढ़ाया जा सकेगा। वित्त मंत्रालय में बुधवार को इस पर विचार-विमर्श किया गया। सूत्रों की मानें तो वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय जल्द ही प्रस्तावों पर अंतिम मंजूरी के लिए कैबिनेट में जा सकता है।
वर्तमान में सरकार समाचार पत्र प्रकाशन और वैज्ञानिक पत्रिकाओं के प्रकाशन समेत विशेष क्षेत्रों में कुछ शर्तों के साथ विदेशी निवेश की मंजूरी दे रही है।
साथ ही फिलहाल निर्माण और विकास क्षेत्र में विदेशी निवेश नीति को ढील देने का प्रस्ताव है। इसमें कई शर्तें भी शामिल है। इसके तहत किसी भारतीय कंपनी को अपनी किसी परियोजना में विकसित प्लॉट तभी बेच सकती है जब सड़क, पानी की सप्लाई, स्ट्रीट लाइट, ड्रेनेज और सीवर जैसी सुविधाएं उपलब्ध हों।
मौजूदा समय में निर्माण क्षेत्र में 100 फीसद एफडीआई की अनुमति है। इसमें कुछ शर्तें लागू हैं। सरकार की इस पहल का उद्देश्य विदेशी कंपनियों को निवेशक अनुकूल माहौल उपलब्ध कराना है। साथ ही आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करने के लिए व ज्यादा एफडीआई आकर्षित करना है। सरकार सिंगल ब्रैंड और मल्टी ब्रैंड रिटेल कारोबार में एफडीआई की नीति में ढील देने की तैयारी कर रही है।
वर्तमान में ऑटोमैटिक रूट से 49 फीसद एफडीआई की अनुमति है। इससे ज्यादा एफडीआई के लिए सरकार की अनुमति लेना अनिवार्य है। सरकार इस विकल्प पर भी विचार-विमर्श कर रही है कि विदेशी रिटेल कंपनियों को मेड इन इंडिया प्रोडक्ट बेचने के लिए स्टोर खोलने की अनुमति दी जाए। वहीं केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल भी मल्टी ब्रैंड रिटेल पॉलिसी के तहत गैर खाद्य उत्पादों में एफडीआई की अनुमति पर जोर दे रही हैं।