आम बजट में रेल बजट विलय के लिए नियमों में होने वाले बदलाव को राष्ट्रपति ने दी मंजूरी
कैबिनेट सचिवालय के आदेश के मुताबिक आर्थिक मामलों के विभाग को आम बजट तैयार की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
नई दिल्ली: देश के आम बजट में रेल बजट के विलय से संबंधित नियम बदलावों को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मंजूरी दे दी है। कैबिनेट सचिवालय की ओर से जारी किए गए हालिया आदेश के मुताबिक आर्थिक मामलों के विभाग को आम बजट (रेल बजट को) तैयार की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इससे पहले तक विभाग रेलवे को छोड़कर अन्य बजट का कामकाज निपटाता था। गौरतलब है कि बीते सात सितंबर महीने में केंद्रीय कैबिनेट में आम बजट में रेल बजट के विलय को मंजूरी दी थी। अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद करीब 92 साल पुरानी परंपरा खत्म हो जाएगी।
आर्थिक मामलों का विभाग तैयार करेगा बजट:
राष्ट्रपति ने भारत सरकार (कामकाज का आबंटन) नियम, 1961 में संशोधन को मंजूरी दे दी है। अब आर्थिक मामलों का विभाग दोनों बजट तैयार करेगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले साल सितंबर में वित्त वर्ष 2017-18 से रेल बजट को आम बजट में मिलाने के लिए कुछ ऐतिहासिक बजटीय सुधारों को मंजूरी दी थी। रेल बजट को अलग से पेश करने की परंपरा 1924 से शुरू हुई थी। आजादी के बाद भी यह परंपरा चलती रही जबकि अलग रेल बजट की कोई संवैधानिक विवशता नहीं है।
भारतीय रेलवे ने बजट सहायता के तौर पर मांगे 50,000 करोड़ रुपए
रेल मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2017-18 के लिए सकल बजटीय सहायता के रूप में 50,000 करोड़ रुपए की मांग की है। हालांकि वित्त मंत्रालय की तरफ से रेलवे को 40,000 से 45,000 करोड़ रुपए तक ही दिए जाने की संभावना है। यह जानकारी एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी है।
अधिकारी ने बताया, “रेलवे ने सकल बजटीय सहायता के रूप में 50,000 करोड़ रुपए की मांग की है और मेरा मानना है कि उसे (रेलवे) को 40,000 से 45,000 करोड़ रुपए तक दिए जा सकते हैं। वास्तव में रेलवे के पास 30,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का उपभोग करने की क्षमता नहीं है।” वित्त वर्ष 2015-16 के रेल बजट में सकल बजटीय सहायता के रूप में 40,000 करोड़ रुपए की घोषणा की गई थी। हालांकि वित्त मंत्री ने खर्च की धीमी गति का हवाला देते हुए इसमें कटौती कर इसे 28,000 करोड़ कर दिया था।