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पेट्रो ईधनों के दाम में बड़ी बढ़ोतरी की आशंका, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल 80 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंचा

पिछले दो महीनों में यह पेट्रोल कीमत में पहली बढ़ोतरी है जबकि डीजल की कीमत में पिछले कुछ ही दिनों के दौरान चार बार वृद्धि की गई है। डीजल की कीमत में इन चार दिनों को मिलाकर कुल 95 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि हुई है।

By NiteshEdited By: Published: Tue, 28 Sep 2021 07:51 PM (IST)Updated: Wed, 29 Sep 2021 07:38 AM (IST)
पेट्रो ईधनों के दाम में बड़ी बढ़ोतरी की आशंका, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल 80 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंचा
possibility of a big increase in the price of petro fuels crude oil reached close to 80 dollor per barrel

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पेट्रोलियम उत्पादों में महंगाई का एक और दौर शुरू होने की आशंका गहरा रही है। सरकारी तेल कंपनियों ने मंगलवार को पेट्रोल की कीमत में 20 पैसे प्रति लीटर और डीजल में 25 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि की है। करीब दो महीने की शांति के बाद अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा बाजार में जबरदस्त हलचल का माहौल है। एक तरफ कच्चा तेल फिर से 80 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच चुका है। दूसरी तरफ चीन जैसे विशाल उपभोक्ता देश में ऊर्जा संकट आने से प्राकृतिक गैस बाजार में भी कीमतें सात वर्षो के उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं। इस अनिश्चितता के माहौल का असर भारतीय बाजार पर भी पड़ने के आसार हैं।

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पिछले दो महीनों में यह पेट्रोल कीमत में पहली बढ़ोतरी है, जबकि डीजल की कीमत में पिछले कुछ ही दिनों के दौरान चार बार वृद्धि की गई है। डीजल की कीमत में इन चार दिनों को मिलाकर कुल 95 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि हुई है। सरकारी तेल कंपनियों ने मंगलवार को बताया कि दिल्ली में पेट्रोल की खुदरा कीमत अब 101.39 रुपये प्रति लीटर हो गई है जबकि डीजल की नई कीमत 89.57 रुपये है। देश के कुछ हिस्सों में पेट्रोल 109 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गया है जबकि डीजल भी 100 रुपये प्रति लीटर के करीब है। अलग अलग राज्यों में पेट्रोलियम उत्पादों पर स्थानीय कर की दरों में अंतर होने से खुदरा कीमतों में भी अंतर आ जाता है। कुछ दिन पहले ही सरकारी तेल कंपनियों की तरफ से एक नोट जारी कर इस बात की आशंका जताई गई थी कि उनके समक्ष पेट्रोल व डीजल को महंगा करने के अलावा और कोई चारा नहीं है।

इसलिए बढ़ रहा गैस का दाम

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल ही नहीं, बल्कि पूरे ऊर्जा सेक्टर को लेकर एक नई अनिश्चितता का दौर शुरू हुआ है। ऊर्जा संकट और गैस आधारित बिजली संयंत्रों की आपूर्ति प्रभावित होने की वजह से ब्रिटेन सरकार को कोयला आधारित बिजली संयंत्रों की मदद लेनी पड़ रही है। उसके बाद चीन के कुछ प्रांतों में कई दशकों के बाद बिजली की समस्या पैदा हुई है, जिससे उन प्रांतों में उत्पादन पर बुरा असर पड़ा है।

चीन ने ताप बिजली संयंत्रों में उत्पादन बढ़ा दिया है जबकि कुछ महीने पहले तक सरकार इन संयंत्रों में उत्पादन घटा रही थी। इसका असर वहां की सप्लाई चेन पर दिखने लगा है। लेकिन इस बीच चीन ने अंतरराष्ट्रीय बाजार से गैस की तेजी से खरीद शुरू कर दी है जिसकी वजह से गैस की कीमतें सात वर्षो के उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं। भारत भी अपनी जरूरत का तकरीबन 50 फीसद आयात करता है। ऐसे में आने वाले दिनों में घरेलू उपभोक्ताओं को महंगी गैस का बोझ भी उठाना पड़ेगा।


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