दूसरी तिमाही में जीडीपी 7.5% से बढ़ने का अनुमान, आने वाली तिमाहियों पर दिखे नोटबंदी का नकारात्मक असर: रायटर्स पोल
जुलाई से सितंबर तिमाही में देश की जीडीपी में ग्रोथ देखने को मिल सकती है। लेकिन सरकार की ओर से नोटबंदी के फैसले का नकारात्मक असर आने वाली तिमाहियों पर पड़ सकता है
नई दिल्ली। जुलाई से सितंबर तिमाही में देश की जीडीपी में ग्रोथ देखने को मिल सकती है। लेकिन नवंबर में सरकार की ओर से नोटबंदी के फैसले का नकारात्मक असर आने वाली तिमाहियों पर पड़ सकता है। रायटर्स की ओर से कराए गए पोल में यह बात सामने आई है। पोल के नतीजों के मुताबिक सालाना आधार पर जुलाई से सितंबर तिमाही में 7.5 फीसदी की दर से बढ़त देखने को मिल सकती है। जो बीते वर्ष इसी तिमाही में 7.1 फीसदी थी। पोल के मुताबिक इस तिमाही में जीडीपी की ग्रोथ रेट 6.5 से 8.7 फीसदी के बीच रह सकती है।
बीते कुछ वर्षों में जब दुनिया की तमाम विकसित अर्थव्यवस्थाओं में सुस्ती देखने को मिल रही थी, तब एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (भारत) में लगातार अच्छी ग्रोथ बना रखी थी। बीती तिमाही में भी जीडीपी में यह ग्रोथ जारी रहेगी। रायटर्स की ओर से बीते हफ्ते अर्थशास्त्रियों के बीच कराए गए पोल में यह बात सामने आई है।
स्टैण्डर्ड चार्टर्ड के चीफ इकोनॉमिस्ट सराह हेविन के मुताबिक जीडीपी में ग्रोथ प्राइवेट कंजम्पशन बढ़ने की वजह से देखने को मिलेगी। यह प्राइवेट कंजम्पशन सरकार की ओर से पिछली तिमाही में दिए गए सातवे वेतन आयोग के भुगतान और एरियर की वजह से बढ़ेगा। प्राइवेट सर्वे के मुताबिक जुलाई से सितंबर तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में एक्टीविटी बढ़ी हैं। इसकी वजह घरेलू डिमांड का बढ़ना है।
बीते महीनों में कम हुई महंगाई ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को नीतिगत दरों में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती करने का भी मौका दिया। आरबीआई की ओर से रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कमी के बाद यह 6.25 फीसदी के स्तर पर आ गए, जो छह साल का निचला स्तर है। नीतिगत दरों में कमी को लेकर रायटर्स की ओर से कराए गए एक और पोल में यह बात सामने आई थी कि 2017 के पहले तीन महीनों में रिजर्व बैंक की ओर से ब्याज दरों में एक 25 बेसिस प्वाइंट की और कटौती की जा सकती है।
नोटबंदी के कारण आने वाले महीनों में विकास दर हो सकती है कम-
कुछ इकोनॉमिस्ट का मानना है कि 8 नवंबर के नोटबंदी के एलान के बाद से ग्रहको की मांग में भारी गिरावट देखने को मिली है। यह आने वाले महीनों में विकास की गति को धीमा कर सकता है। मार्च 2017 तक नकदी की किल्लत देश की जीडीपी को बीते वर्ष के 7.6 फीसदी की विकास दर में 4.1 फीसदी प्वाइंट तक की कमी कर सकती है।