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पैरासिटामॉल के कच्चे माल की कीमत में 80 फीसद तक का उछाल, 15 दिनों में 40 फीसद तक बढ़ गई दवा निर्माण की लागत

फेडरेशन ऑफ फार्मा एंटरप्रेन्योर्स (एफओपीई) के कार्यकारी सचिव सुदेश कुमार ने बताया कि पिछले 15 दिनों में फार्मा निर्माण की लागत 30-40 फीसद तक बढ़ गई है। PC Pixabay

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Mon, 02 Mar 2020 08:34 AM (IST)Updated: Mon, 02 Mar 2020 11:11 AM (IST)
पैरासिटामॉल के कच्चे माल की कीमत में 80 फीसद तक का उछाल, 15 दिनों में 40 फीसद तक बढ़ गई दवा निर्माण की लागत
पैरासिटामॉल के कच्चे माल की कीमत में 80 फीसद तक का उछाल, 15 दिनों में 40 फीसद तक बढ़ गई दवा निर्माण की लागत

नई दिल्ली, राजीव कुमार। चीन से शुरू हुए और अब तक 50 से अधिक देशों को चपेट में ले कोरोना वायरस का असर दवा उद्योग पर साफ तौर जाहिर होने लगा है। दवा निर्माण की लागत पिछले 15 दिनों में 40 फीसद तक बढ़ गई है। लेकिन आम उपभोक्ताओं को दवाओं की महंगाई से बचाने के लिए सरकार फार्मा कंपनियों को इनसेंटिव यानी प्रोत्साहन देने की घोषणा कर सकती है। सरकार 58 अति जरूरी दवाओं की कीमतों पर भी लगातार निगरानी रख रही है ताकि जरूरत पर उनके निर्यात पर रोक लगाई जा सके। दवा बनाने के लिए 70 फीसद कच्चे माल का आयात चीन से किया जाता है।

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फेडरेशन ऑफ फार्मा एंटरप्रेन्योर्स (एफओपीई) के कार्यकारी सचिव सुदेश कुमार ने बताया कि पिछले 15 दिनों में फार्मा निर्माण की लागत 30-40 फीसद तक बढ़ गई है। दवा की अधिकतम कीमतों पर सरकारी नियंत्रण की वजह से फिलहाल उपभोक्ता तक पहुंचने वाली दवा के दाम में बढ़ोतरी नहीं हुई है। लेकिन ऐसा अधिक दिनों तक नहीं चल सकता, क्योंकि फार्मा कंपनियां लागत का दबाव महसूस करने लगी हैं। ऐसे में, सरकार दवा कंपनियों को कुछ प्रोत्साहन दे सकती है। सूत्रों के मुताबिक सरकार दवा कंपनियों को कर्ज की ब्याज दरों में छूट या फिर कच्चे माल के दाम में बढ़ोतरी के अनुपात में कुछ फीसद सब्सिडी दे सकती है।

अन्य देशों से आयातित कच्चा माल 20-25 फीसद तक महंगे

एफओपीआई के मुताबिक चीन में कोरोना वायरस के लंबा खिंच जाने पर दूसरे देशों से कच्चा माल खरीदने के विकल्प पर विचार किया जा रहा है। इनमें सिंगापुर, वियतनाम, इटली, स्पेन जैसे देश शामिल हैं। इन देशों से कच्चा माल का आयात चीन के मुकाबले 20-25 फीसद तक महंगा है। ऐसे में, सरकार महंगे आयात में राहत देने का कुछ उपाय कर सकती है। इन मसलों पर पिछले सप्ताह नीति आयोग में वित्त मंत्रालय और रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के साथ दवा निर्माताओं की लंबी बैठक चली थी।

दवा की हो सकती है कमी

हिमाचल प्रदेश ड्रग मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएशन के चीफ एडवाइजर सतीश सिंघल ने बताया कि यह सही है कि दवा निर्माण की लागत 40 फीसद तक बढ़ गई है, लेकिन कुछ दवाओं के कच्चे माल में 70-80 फीसद तक का इजाफा है। सिंघल कहते हैं, पैरासिटामॉल के कच्चे माल का दाम जनवरी में 250 रुपये प्रति किलोग्राम था, जो अभी 410 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गया है। अजीथ्रोमाइसिन के कच्चे माल की कीमत 6,500 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 12,000 रुपये प्रति किलोग्राम हो चुकी है। वहीं, मोंटालुकास्ट के कच्चे माल का दाम 30,000 से बढ़कर 55,000 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर पहुंच गया है।

सिंघल के मुताबिक दिक्कत यह है कि अन्य देशों में भी दवा के कच्चे माल की किल्लत है। भारत में जिन कच्चा माल का निर्माण हो रहा है उन्हें अन्य देशों में अच्छी कीमत मिल रही है। इसलिए कंपनियां घरेलू स्तर पर कच्चा माल की आपूर्ति की जगह निर्यात को ज्यादा महत्व दे रही हैं।

कॉस्मेटिक क्षेत्र में उत्पादन पर हो रहा है असर

दिल्ली के बादली औद्योगिक इलाके में कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स की उत्पादन यूनिट चलाने वाले दीपक अरोड़ा ने बताया कि कॉस्मेटिक्स के एक उत्पाद के निर्माण में कई कच्चे माल का इस्तेमाल होता है। एक भी कच्चा माल की कमी होने पर उस उत्पाद का निर्माण नहीं किया जा सकता है। चीन से कच्चे माल की सप्लाई बाधित होने से कई कॉस्मेटिक उत्पाद का उत्पादन रुक गया है।


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