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सितंबर से पूरे देश में काम करेगा चेक ट्रंकेशन सिस्टम, चेक क्लीयर करवाना हो जाएगा आसान

देश के कुछ बड़े शहरों में परिचालित सीटीएस से क्षमताओं में काफी बढ़ोत्तरी हुई है। इसे देखते हुए सितंबर 2020 से पूरे देश में सीटीएस का परिचालन शरू किया जाएगा।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Thu, 06 Feb 2020 04:06 PM (IST)Updated: Thu, 06 Feb 2020 06:33 PM (IST)
सितंबर से पूरे देश में काम करेगा चेक ट्रंकेशन सिस्टम, चेक क्लीयर करवाना हो जाएगा आसान
सितंबर से पूरे देश में काम करेगा चेक ट्रंकेशन सिस्टम, चेक क्लीयर करवाना हो जाएगा आसान

नई दिल्ली, पीटीआइ। चेक क्लीयरेंस की रफ्तार को बढ़ाने की दिशा में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने गरुवार को कहा है कि उसने इस साल सितंबर से पूरे देश में चेक ट्रंकेशन सिस्टम (CTS) लाने का फैसला किया है। आरबीआई इस सिस्टम को साल 2010 में लेकर आई थी। इस समय यह कुछ बड़े शहरों में प्रचलन में है। सीटीएस से ग्राहकों को अपना चेक क्लीयर करवाना बड़ा आसान हो जाएगा और इसमें समय की भी बहुत बचत होगी।

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डेवलपमेंटल एंड रेगुलेटरी पॉलिसीज पर आरबीआई ने स्टेटमेंट जारी कर कहा, 'देश के कुछ बड़े शहरों में परिचालित सीटीएस से क्षमताओं में काफी बढ़ोत्तरी हुई है। इसे देखते हुए सितंबर 2020 से पूरे देश में सीटीएस का परिचालन शुरू किया जाएगा।' सीटीएस लेनदेन की एक सुरक्षित प्रक्रिया है। इसमें ग्राहक को चेक को क्लीयर करवाने के लिए एक बैंक से दूसरे बैंक नहीं जाना होगा।

पूरे देश में सीटीएस लाने के साथ ही आरबीआई ने डीपीआई लॉन्च करने की भी बात कही है। देखा गया है कि भारत में डिजिटल पेमेंट बहुत तेजी से बढ़ रहा है। इसे देखते हुए आरबीआई ने कहा है कि जल्द ही डिजिटल पेमेंट्स इन्डेक्स (DPI) लॉन्च किया जाएगा। केंद्रीय बैंक ने स्टेटमेंट में कहा है कि डीपीआई कई मापदंड़ों पर आधारित होगी और विभिन्न डिजिटल पेमेंट मोड्स की पेठ और गहराई को सही से दर्शा सकेगी।

स्टेटमेंट में कहा गया है कि डिजिटल पेमेंट्स में पर्याप्त वृद्धि और पेमेंट इकोसिस्टम में निकायों द्वारा मैच्योरिटी पाने के साथ पेमेंट सिस्टम में निकायों के ऑर्डर के अनुसार परिचालन के लिए एक स्व-नियामक संगठन (SRO) का होना जरूरी है।

भारतीय रिज़र्व बैंक डिजिटल पेमेंट सिस्टम के लिए अप्रैल 2020 तक एसआरओ की स्थापना के लिए फ्रेमवर्क तैयार करेगा। साथ ही कहा गया है कि एसआरओ रेगूलेटर/सूपरवाइजर और प्लेयर्स के बीच एक द्विमुखी संचार माध्यम की तरह कार्य करेगा। 

डिजिटल बैंकिंग में बदलाव लाने और रीजनल रूरल बैंक्स (RRBs) को उनके ग्राहकों को कोस्ट इफेक्टिव और यूजर फ्रेंडली सोल्युशंस उपलब्ध करवाने वाला बनाने के लिए कमर्शियल बैंक्स के जैसे ही मर्चेंट एक्युरिंग बैंक्स की तरह कार्य करने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है।


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