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GST Council Meet: विपक्ष शासित राज्यों की जीएसटी मुआवजे को जारी रखने की मांग

जीएसटी परिषद की बैठक में राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट के एक हालिया फैसले का हवाला देते हुए कहा कि परिषद द्वारा किए गए फैसले बाध्यकारी नहीं हैं और राज्यों के लिए उनका पालन करना कतई जरूरी नहीं है।

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Published: Tue, 28 Jun 2022 07:11 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jun 2022 07:11 PM (IST)
GST Council Meet: विपक्ष शासित राज्यों की जीएसटी मुआवजे को जारी रखने की मांग
GST Council meting is going on in Chandigarh

नई दिल्ली, पीटीआइ। विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों ने मांग की है कि या तो जीएसटी के तहत होने वाले राजस्व बंटवारे के फार्मूले में बदलाव किया जाए या जीएसटी मुआवजे की अवधि पांच साल बढ़ाई जाए। जीएसटी परिषद की बैठक (GST Council Meet) में राज्यों ने मुआवजे को लेकर सख्त रवैया अपनाया है। बैठक में राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट के एक हालिया फैसले का भी हवाला दिया कि परिषद द्वारा किए गए फैसले बाध्यकारी नहीं हैं और राज्यों के लिए उनका पालन करना जरूरी नहीं है। गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) 1 जुलाई, 2017 को लागू किया गया था और राज्यों को जून 2022 तक होने वाले राजस्व नुकसान के लिए मुआवजे का आश्वासन दिया गया था।

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क्या हुआ बैठक में

छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री टीएस सिंह देव ने कहा कि केंद्र और राज्यों के बीच जीएसटी से राजस्व को समान रूप से विभाजित करने के मौजूदा फॉर्मूले को बदला जाना चाहिए और राज्यों को बड़ा हिस्सा दिया जाना चाहिए। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे पत्र में देव ने कहा कि उनके राज्य को जीएसटी के चलते भारी नुकसान हुआ है। केरल के वित्त मंत्री केएन बालगोपाल ने कहा कि राजस्व हानि की भरपाई के लिए राज्यों के लिए जीएसटी क्षतिपूर्ति तंत्र का विस्तार किया जाना चाहिए। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सलाहकार अमित मित्रा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के आलोक में परिषद के सभी फैसले आम सहमति से लिए जाने चाहिए।

कैसे होगी नुकसान की भरपाई

वर्तमान में, जीएसटी से एकत्र राजस्व केंद्र और राज्यों के बीच समान रूप से साझा किया जाता है। लक्जरी, डिमेरिट और सिन गुड्स पर लगाए गए उपकर का उपयोग जीएसटी के कारण राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए किया जाता है। दो दिवसीय जीएसटी परिषद की बैठक में कल भी इस इस बात पर चर्चा होगी कि पांच साल की अवधि के बाद नुकसान की भरपाई के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे।

बढ़ी है राज्यों की मुश्किल

हालांकि राज्यों का संरक्षित राजस्व 14 प्रतिशत चक्रवृद्धि वृद्धि से बढ़ रहा है, लेकिन उपकर संग्रह उस अनुपात में नहीं बढ़ा है। इस बीच COVID-19 ने उपकर संग्रह में कमी के अलावा संरक्षित राजस्व और वास्तविक राजस्व प्राप्ति के बीच के अंतर को और बढ़ा दिया है। मुआवजे की कम रिलीज के कारण राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र ने 2020-21 में 1.1 लाख करोड़ रुपये और 2021-22 में 1.59 लाख करोड़ रुपये बैक-टू-बैक ऋण के रूप में उधार लिया।

आंकड़ों के अनुसार, 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से केवल पांच अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड और सिक्किम ने वित्तीय वर्ष में जीएसटी के तहत राज्यों के लिए संरक्षित राजस्व दर से अधिक राजस्व वृद्धि दर्ज की। जबकि 2021-22 के लिए पुडुचेरी, पंजाब, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में संरक्षित राजस्व और सकल राज्य जीएसटी राजस्व के बीच सबसे अधिक अंतर दर्ज किया गया ।


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