HPCL का अधिग्रहण करेगी ONGC: ONGC, भारत पेट्रोलियम और IOC की अगुवाई में होंगी सिर्फ तीन तेल कंपनियां
देश की सबसे बड़ी रिफाइनरी कंपनी इंडियन ऑयल के साथ दूसरी सबसे बड़ी तेल खनन कंपनी ऑयल इंडिया को मिलाकर एक अन्य बड़ी कंपनी बनाने की तैयारी है
नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। बजट में घोषणा के बाद देश में सरकारी क्षेत्र की तेल कंपनियों के बीच विलय कराने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। पेट्रोलियम मंत्रालय ने इस भावी योजना का खाका बनाना भी शुरू कर दिया है। अभी तक योजना यह है कि ओएनजीसी, भारत पेट्रोलियम और इंडियन ऑयल की अगुवाई में तीन बड़ी तेल कंपनियां रहेंगी।
क्या है योजना:
इस योजना के तहत ओएनजीसी में हिंदुस्तान पेट्रोलियम (एचपीसीएल) को मिलाकर एक कंपनी बनाने की योजना है, और भारत पेट्रोलियम में देश की इकलौती रिफाइनरियों को मिलाकर एक अन्य बड़ी तेल कंपनी बनाई जा सकती है। जबकि देश की सबसे बड़ी रिफाइनरी कंपनी इंडियन ऑयल के साथ दूसरी सबसे बड़ी तेल खनन कंपनी ऑयल इंडिया को मिलाकर एक अन्य बड़ी कंपनी बनाने की तैयारी है।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने उम्मीद जताई है कि अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान तेल कंपनियों के विलय के प्रस्ताव को कैबिनेट मंजूरी मिल जाएगी और उसके छह महीने के भीतर देश में पेट्रोलियम सेक्टर में बड़े बदलाव को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। सरकार पेट्रोलियम रिटेलिंग में कम से कम तीन सरकारी कंपनियों के मौजूदा स्वरूप को रखेगी क्योंकि ऐसा नहीं होने पर ग्राहकों के हितों के साथ समझौता हो सकता है। सनद रहे कि अभी देश के पेट्रोलियम रिटेलिंग बाजार में सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी 90 फीसद से भी ज्यादा है। देश की सबसे बड़ी रिफाइनरी निजी क्षेत्र की रिलायंस की है लेकिन घरेलू बाजार में उसकी मौजूदगी काफी कम है।
बहरहाल, अभी सरकार की योजना ओएनजीसी में एचपीसीएल के विलय को परवान चढ़ाने की है। इसके तहत ओएनजीसी को पहले एचपीसीएल में केंद्र की 51.11 फीसद हिस्सेदारी खरीदने की इजाजत दी जाएगी। इसके बाद ओएनजीसी को खुले बाजार से 26 फीसद हिस्सेदारी और खरीदने की इजाजत दी जाएगी। अभी बाजार में एचपीसीएल के एक शेयर की कीमत 561 रुपये है और 51.11 फीसद हिस्सेदारी खरीदने के लिए 29,128 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। शेष 26 फीसद हिस्सेदारी के लिए कंपनी को 14,817 करोड़ रुपये और खर्च करने होंगे। इस तरह से ओएनजीसी को कुल 44 हजार करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा। यह राशि सरकार के खजाने में जाएगी।