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टाटा मिस्त्री विवाद: सतर्क और एकजुट हुए म्युचुअल फंड

रतन टाटा और साइरस मिस्त्री के बीच जारी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। वहीं बोर्डरूम की इस लड़ाई ने अनेक म्युचुअल फंडों को एकजुट एवं सतर्क कर दिया है

By Surbhi JainEdited By: Published: Sun, 13 Nov 2016 11:39 PM (IST)Updated: Sun, 13 Nov 2016 11:46 PM (IST)
टाटा मिस्त्री विवाद: सतर्क और एकजुट हुए म्युचुअल फंड

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नई दिल्ली: रतन टाटा और सारस मिस्त्री के बीच जारी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। वहीं बोर्डरूम की इस लड़ाई ने अनेक म्युचुअल फंडों को एकजुट एवं सतर्क कर दिया है। दरअसल इन म्युचुअल फंडों के करीब 20,000 करोड़ रुपए टाटा समूह की सूचीबद्ध कंपनियों में लगे हुए हैं। इसी तरह टाटा समूह की कंपनियों ने भी म्युचुअल फंडों के ऋण और इक्विटी कोषों में काफी धन लगा रखा है। गौरतलब है कि बीते 24 अक्टूबर को साइरस मिस्त्री को टाटा ग्रुप के चेयरमैन पद से हटा दिया गया था।

म्युचुअल फंड्स की टाटा ग्रुप के हर घटनाक्रम पर नजर:
निवेशकों के हितों के मद्देनजर इन कोषों की समूचे घटनाक्रम पर पैनी नजर है। टाटा समूह के बोर्ड रूम में जारी खींचतान पर ये कंपनियां बराबर निगाह बनाए हुए हैं। वहीं दूसरी तरफ समूह की विभिन्न सूचीबद्ध कंपनियों में शेयरधारकों की बैठक के दौरान मिलकर प्रस्ताव लाने के बारे में भी विचार हो रहा है। टाटा समूह की प्रमुख प्रवर्तक कंपनी टाटा ग्रुप ने पहले ही समूह की कुछ कंपनियों में चेयरमैन के पद से साइरस मिस्त्री को हटाने के लिए शेयरधारकों की असाधारण आम सभा बुलाने का प्रस्ताव भेजा है।
प्रमुख कोष प्रबंधकों का कहना है कि विभिन्न म्युचुअल फंडों का टाटा समूह की कंपनियों में 20,000 करोड़ रुपए से अधिक लगा हुआ है। टाटा के शेयरों में बड़ा निवेश करने वाले विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की भी नजर बनी हुई है और इसने बाजार नियामक सेबी, स्वतंत्र निदेशकों और संबंधित कंपनियों के प्रबंधन से संपर्क साधा है ताकि सुनिश्चित हो कि अल्पांश शेयरधारकों का हित सुरक्षित है।

टाटा में चल रहे संघर्ष का जल्द समाधान चाहते हैं फंड हाउस:
सूत्रों के मुताबिक, एक अग्रणी प्राइवेट फंड हाउस के प्रमुख की अध्यक्षता वाली कमेटी टाटा-मिस्त्री से जुड़े संघर्ष और इसकी प्रगति पर नजदीकी से नजर रखे हुए है। इस समिति में 19 सदस्य हैं, जिनमें विभिन्न फंड हाउस के मुख्य निवेश अधिकारी शामिल हैं। पिछले दो हफ्ते में टाटा समूह की कंपनियों के संयुक्त बाजार पूंजीकरण में करीब 50,000 करोड़ रुपए की कमी दर्ज हुई है। फंड हाउस व अन्य संस्थागत निवेशक दोनों खेमों के बीच चल रहे संघर्ष का जल्द समाधान चाहते हैं।


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