रुपये में गिरावट से कच्चे तेल के आयात बिल में 42 फीसद वृद्धि की संभावना
वित्त वर्ष 2017-18 की तुलना में इसमें 42 फीसद की वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 17-18 में यह 88 अरब डॉलर था।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। भारत के लिए कच्चे तेल के आयात बिल की कीमत चालू वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान 37 अरब डॉलर से बढ़कर 125 अरब डॉलर पहुंचने की संभावना है। वित्त वर्ष 2017-18 की तुलना में इसमें 42 फीसद की वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 17-18 में यह 88 अरब डॉलर था। सोमवार को पेट्रोलियम प्लानिंग और एनालिसिस सेल (पीपीएसी) की ओर से नए अनुमान जारी किए गए थे। पिछले साल यह अनुमान 105 अरब डॉलर था। इस वृद्धि के पीछे कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा और रुपये का कमजोर होना मुख्य वजह है।
भारतीय कच्चे तेल का बास्केट वित्त वर्ष 19 के लिए 77.88 डॉलर प्रति बैरल होने का अनुमान है। जो वित्त वर्ष 18 में 56.39 डॉलर प्रति बैरल था।
पीपीएसी के शुरुआती अनुमानों के दौरान, रुपये के लिए एक्सचेंज रेट 65 डॉलर होने का अनुमान लगाया गया था। सोमवार को एक्सचेंज रेट 73.52 रुपये प्रति डॉलर था और वित्त वर्ष के दूसरे छमाही में यह 72.22 डॉलर प्रति डॉलर हो गया।
रुपए की बात की जाए तो आयात बिल में अनुमानित वृद्धि 5.66 ट्रिलियन रुपये होगी। जो कि पिछले साल यह 8.81 ट्रिलियन रुपये थी।
दुनिया भर में पिछले दो महीनों से कच्चे तेल के दामों में इजाफे के बाद भारत में पेट्रोल डीजल की कीमतों में भी वृद्धि देखी गई। हालांकि सरकार की ओर से 4 अक्टूबर को एक्साइज ड्यूटी में कटौती कर ग्राहकों को राहत देने की कोशिश की गई थी लेकिन बाद में फिर तेल के बढ़ते दाम के बाद जो राहत दी गई थी वो बराबर हो गई।
कच्चे तेल की कीमतों में प्रति 1 डॉलर की वृद्धि से चालू खाता घाटे पर (सीएडी) 1 अरब डॉलर के असर होने की संभावना है। अनुमानों के आधार पर वित्त वर्ष 19 में चालू खाता घाटा 72-77 अरब डॉलर बढ़ने की संभावना है, जो कि 2017-18 में 48.7 अरब डॉलर था।
12 अक्टूबर को समाप्त हुए सप्ताह में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में सात साल में सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली जो 5.14 अरब डॉलर घटकर 394.46 अरब डॉलर हो गई। यह पहली बार होगा जब कच्चे तेल का आयात बिल तीन वर्षों में 100 अरब डॉलर का आंकड़ा पार कर लेगा। 2011-12 से लगातार तीन वर्षों के लिए 140 अरब डॉलर था।