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चुनाव का असर: दिसंबर के मुकाबले क्रूड की कीमत में 10 डालर के इजाफे के बावजूद तेल कंपनियों ने दाम नहीं बढ़ाए

लेकिन चुनावी मौसम में कंपनियों की यह आजादी देखने को नहीं मिलती। असलियत में वर्ष 2004 के बाद से हर लोकसभा चुनाव या दो-तीन राज्यों में एक साथ होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले पेट्रो उत्पादों की कीमतों में वृद्धि को लेकर तेल कंपनियां एहतियात बरतने लगती हैं।

By NiteshEdited By: Published: Fri, 14 Jan 2022 07:26 PM (IST)Updated: Fri, 14 Jan 2022 07:26 PM (IST)
चुनाव का असर: दिसंबर के मुकाबले क्रूड की कीमत में 10 डालर के इजाफे के बावजूद तेल कंपनियों ने दाम नहीं बढ़ाए
Oil companies did not increase prices despite increase of 10 dollor in crude price compared to December

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। चुनाव में यूं तो हर गली नुक्कड़ पर स्थानीय मुद्दों की भरमार होती है लेकिन महंगाई और खासकर पेट्रोल डीजल या फिर प्याज व खाने की वस्तुओं की कीमत को लेकर अक्सर शोर सुनाई देता है। यह रोचक तथ्य है कि पेट्रोल डीजल की जो भी रफ्तार हो चुनाव के आसपास जरूर ठिठक जाती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले छह हफ्तों की बात करें तो क्रूड यानी कच्चे तेल की कीमत 71-72 डालर से बढ़कर 84 डालर प्रति बैरल हो चुकी हैं लेकिन तेल कंपनियों की तरफ से ना तो पेट्रोल को महंगा किया गया है और ना ही डीजल को। वैसे तो सरकारी क्षेत्र की तेल कंपनियों को काफी पहले पेट्रो उत्पादों की खुदरा कीमत तय करने की आजादी दे दी गई है लेकिन चुनावी मौसम में कंपनियों की यह आजादी देखने को नहीं मिलती। असलियत में वर्ष 2004 के बाद से हर लोकसभा चुनाव या दो-तीन राज्यों में एक साथ होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले पेट्रो उत्पादों की कीमतों में वृद्धि को लेकर तेल कंपनियां एहतियात बरतने लगती हैं।

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हालांकि इस एहतियात का नतीजा बाद में जनता को एकमुश्त उठाना पड़ता है। पिछले वर्ष मार्च-अप्रैल में हुए असम, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु व पुडुचेरी विधानसभा चुनाव के दौरान भी देखने को मिला था। 27 मार्च, 2021 को चुनाव घोषित किए जाने से एक महीने पहले यानी 27 फरवरी, 2021 के बाद कंपनियों ने पेट्रोल और डीजल की कीमत में वृद्धि नहीं की। चुनाव से ठीक पहले खुदरा कीमतों में कुछ कमी भी की गई लेकिन 29 अप्रैल, 2021 को पश्चिम बंगाल में अंतिम चरण का चुनाव समाप्त हुआ और 4 मई, 2021 से कीमतों में वृद्धि का सिलसिला शुरू हो गया।

दो नवंबर के बाद से नहीं बढ़ाई गई है कीमत

पेट्रोलियम मंत्रालय का आंकड़ा बता रहा है कि नवंबर, 2021 में सरकारी तेल कंपनियों ने औसतन 80.64 डालर प्रति बैरल का दर से क्रूड की खरीद की थी। दिसंबर, 2021 में औसत कीमत 73.63 डालर प्रति बैरल थी। दिसंबर के बाद रूस-यूक्रेन के बीच बढ़ते दबाव, तेल उत्पादक देशों की तरफ से उत्पादन नहीं बढ़ाने के फैसले और सर्दियों की मांग बढ़ने की वजह से क्रूड लगातार महंगा हो रहा है। जनवरी के दौरान इसकी कीमत लगातार 82 डालर से 85 डालर के बीच बनी हुई है। जबकि सरकारी तेल कंपनियों की तरफ से खुदरा कीमत में अंतिम बार परिवर्तन दो नवंबर, 2021 को किया गया था। चार नवंबर, 2021 को पेट्रोल व डीजल की कीमत में कटौती हुई थी लेकिन वह इसलिए हुई थी कि केंद्र सरकार और कुछ राज्यों की तरफ से इन दोनो उत्पादों पर उत्पाद शुल्क व मूल्यव‌िर्द्धत शुल्कों में कमी की गई। अधिकांश राज्यों में पेट्रोल की कीमत में 10 रुपये और डीजल की कीमत में 12 रुपये तक की राहत ग्राहकों को मिली। चुनाव में जाने वाले पंजाब और उत्तर प्रदेश की सरकारों ने भी वैट घटा कर जनता को राहत दिया है। केंद्र की एनडीए सरकार की तरफ से उत्पाद शुल्क घटाने के बाद सभी भाजपा शासित राज्यों ने वैट घटाए थे लेकिन अधिकांश गैर भाजपाई राज्यों ने कोई कमी नहीं की।


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