Rajdhani express: अब 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ेंगी राजधानी-शताब्दी!
मुंबई-दिल्ली के बीच राजधानी एक्सप्रेस में एक अतिरिक्त इंजन लगाकर 130 की जगह 160 किमी प्रति घंटा तक की रफ्तार हासिल कर ली गई।
नई दिल्ली (दीपक बहल)। मुंबई-दिल्ली के बीच राजधानी एक्सप्रेस में एक अतिरिक्त इंजन लगाकर 130 की जगह 160 किमी प्रति घंटा तक की रफ्तार हासिल कर ली गई। दो पावर कार हटने से दो अतिरिक्त डिब्बों की भी गुंजाइश बनाई गई। हालांकि रेलवे इसे प्रयोग मात्र बता रहा है।
भारतीय रेल के इतिहास में पहली बार कोई ट्रेन इस तरह इस स्पीड पर पहुंची। दिल्ली-मुंबई के बीच राजधानी एक्सप्रेस में एक अतिरिक्त इंजन लगाकर यह सफल प्रयोग किया गया। ट्रेन की स्पीड 160 किमी प्रति घंटा तक पा ली गई। तकनीकी तौर पर अधिक कुछ नहीं हुआ बल्कि एक तार के जरिये आगे और पीछे लगे दोनों इंजनों को आपस में जोड़ा गया।
ट्रायल के दौरान जब नई दिल्ली स्टेशन से मुंबई के बीच यह ट्रेन दौड़ाई गई तो अपने निर्धारित समय से 83 मिनट पहले पहुंच गई। दोनों इंजनों में सही तालमेल बिठाने के लिए कुछ तकनीकी अपडेट भी किया गया। ट्रायल के समय दोनों इंजनों को एक ही चालक ने कंट्रोल किया। ट्रायल सफल होने के बाद इलेक्ट्रिकल विभाग ने स्पीड बढ़ाने का सर्टिफिकेट लेने के लिए अनुसंधान अभिकल्प व मानव संगठन (आरडीएसओ) से पत्राचार किया है। यहां से अनुमति मिलते ही ट्रेनों की स्पीड बढ़ जाएगी।
सूत्रों के मुताबिक, रेलवे बोर्ड की अनुमति से इलेक्ट्रिकल विभाग ने दिल्ली से मुंबई रूट पर खाली ट्रेन दौड़ाकर ट्रायल किया। यह ट्रेन एक बार 83 मिनट तो दूसरी बार 76 मिनट पहले पहुंच गई। पुश एंड पुल तकनीक के साथ इसका निरीक्षण किया गया है। पहली बार दो इंजन लगाने से जहां इसके ब्रेकिंग सिस्टम और मजबूत होने की बात कही जा रही है वहीं इसकी स्पीड मौजूदा समय 130 किमी प्रति घंटा की जगह 160 किमी प्रति घंटा हो जाएगी।
इस ट्रायल के 311 पन्नाों की रिपोर्ट तैयार कर भेज दी गई है। मौजूदा समय बात करें तो राजधानी एक्सप्रेस में एक इंजन और दो जनरेटर कार लगाई जा रही हैं। जनरेटर कार के माध्यम से ट्रेन में एयर कंडीशन और लाइटिंग की सुविधा दी जा रही है। यदि राजधानी एक्सप्रेस में एक अतिरिक्त इंजन लगा दिया जाता है तो दोनों जनरेटर कार को हटाने का प्रस्ताव है।
यदि दोनों जनरेटर कार हटा दिए जाते हैं तो दो कोच थर्ड एसी के भी लगाए जा सकते हैं। एक अधिकारी ने बताया कि न के बराबर खचेर् पर, महज एक तार के सहारे हमने राजधानी ट्रेन को सेमी हाईस्पीड ट्रेन में तब्दील कर दिखाया। इस अधिकारी ने दावा किया कि अगर ट्रैक और भी बेहतर हो तो ट्रेन की स्पीड और भी बढ़ाई जा सकती है। बता दें कि हालही सेमी हाईस्पीड ट्रेन ट्रेन-18 का सफल ट्रायल हुआ। इस पर करीब सौ करोड़ रुपये की लागत आई है।
यह केवल एक प्रयोग
रेलवे बोर्ड के मेंबर रोलिंग स्टॉक राजेश अग्रवाल के अनुसार आगे पीछे दो इंजन लगाकर राजधानी एक्सप्रेस की स्पीड 160 किमी प्रतिघंटा करने का प्रयोग केवल एक प्रयोग है। इसका यह मतलब नहीं कि इसे लागू किया जाएगा।
वास्तव में अब सारी तेज रफ्तार ट्रेनें ट्रेन-18 जैसी ट्रेनसेट वाली सेल्फ प्रोपेल्ड ट्रेनें होंगी, जिनमें अलग से इंजन की आवश्यकता नहीं पड़ती। ऐसी ट्रेन को रफ्तार पकड़ने और रुकने में भी समय नहीं लगता है। इससे समय की अतिरिक्त बचत होती है। जहां तक इस युक्ति (प्रयोग)को ट्रेन-18 के बाद अमल में लाए जाने का सवाल है तो इसका कारण पहले के मुकाबले अब प्रमुख रूटों पर ट्रैक का बेहतर स्थिति में होना है।