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Economic Survey 2023: शिक्षा में अब सीखने पर फोकस, सरकार लर्निंग आउटकम के मॉडल पर करेगी काम

ऐसे में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए देश को जब फिर से दुनिया में शिक्षा का क्षेत्र में सिरमौर बनाने का सपना देखा गया है तो इसके लिए दुनिया को प्रमाण भी देना होगा। जो शिक्षा के प्रत्येक स्तर पर हमारे सीखने के स्तर से रेखांकित होगा। (जागरण- फोटो)

By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputPublished: Tue, 31 Jan 2023 09:00 PM (IST)Updated: Tue, 31 Jan 2023 09:00 PM (IST)
Economic Survey 2023: शिक्षा में अब सीखने पर फोकस, सरकार लर्निंग आउटकम के मॉडल पर करेगी काम
इंफ्रास्ट्रक्चर को मजूबती देने और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए जरूरी उपायों को जुटाने में बढ़ें नए कदम

नई दिल्ली, अरविंद पांडेय। शिक्षा के क्षेत्र को मजबूती देने की बात अब सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि उसकी परख लर्निंग आउटकम यानी छात्रों के सीखने के स्तर पर होगी। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ( एनईपी ) के अमल में तेजी से जुटी केंद्र सरकार ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर जुटाने की मुहिम को एक नई ऊंचाई देने के बाद अब एक नए मिशन की तैयारी में है। एक फरवरी को सरकार की ओर से पेश किए जाने वाले आम बजट में इसे लेकर कुछ ऐलान भी हो सकता है।

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आर्थिक सर्वेक्षण में दिए गए संकेत

इसके साथ ही शोध और इनोवेशन के क्षेत्र में भी कुछ बड़े कदम उठाए जा सकते है। केंद्र सरकार की ओर से मंगलवार को वर्ष 2022-23 के पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में भी इसके संकेत दिए गए है। सर्वेक्षण में पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के हवाले से कहा गया है कि 'सीखना रचनात्मकता देता है, रचनात्मकता विचार की ओर ले जाती है, विचार ज्ञान की ओर ले जाता और ज्ञान ही आपको महान बनाता है।'

तय होंगे नए मानक

ऐसे में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए देश को जब फिर से दुनिया में शिक्षा का क्षेत्र में सिरमौर बनाने का सपना देखा गया है, तो इसके लिए दुनिया को प्रमाण भी देना होगा। जो शिक्षा के प्रत्येक स्तर पर हमारे सीखने के स्तर से रेखांकित होगा। फिलहाल सरकार ने इस दिशा में काम शुरू कर दिया है। नए मानकों को तय करने पर तेजी से काम किया जा रहा है। लर्निंग आउटकम का यह मॉडल स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा के स्तर पर लागू होगा। इससे न सिर्फ छात्रों के ज्ञान का अनुमान लगेगा बल्कि शैक्षणिक संस्थानों के बीच भी प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। इस बीच पीएम-श्री स्कूलों के जरिए एनईपी जमीन पर उतरते दिखेगी।

डिजिटल तकनीक के इस्तेमाल को मिलेगी और गति

इसके साथ ही बजट में शिक्षा के क्षेत्र में डिजिटल तकनीक के इस्तेमाल को और गति मिलते भी दिखेगी। सरकार ने इस दिशा में यह पहल तब की है, जब शिक्षा से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर के स्तर पर देश को एक नई ऊंचाई मिल चुकी है। शिक्षा मंत्रालय से जुड़ी एक रिपोर्ट के मुताबिक देश के 88 प्रतिशत स्कूलों के पास मौजूदा समय में पुस्तकालय की सुविधा है।

करीब पचास प्रतिशत स्कूल कंप्यूटर और 34 प्रतिशत इंटरनेट की सुविधा से लैस हो चुके है। करीब 90 प्रतिशत स्कूलों में बिजली पहुंच चुकी है। शौचालय और पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाएं तो देश के लगभग सभी स्कूलों में पहुंच चुकी है।

उच्च शिक्षा के जीईआर का लक्ष्य

स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा के नामांकन में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। स्कूलों में तो हम शत-प्रतिशत नामांकन के करीब है लेकिन उच्च शिक्षा में अभी भी काफी पीछे है। वर्ष 2035 तक उच्च शिक्षा के जीईआर को पचास प्रतिशत पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। पिछले सालों में हालांकि इनमें बढ़ोत्तरी हुई है। वर्ष 2014-15 में उच्च शिक्षा की जीईआर ( ग्रास इनरोल्डमेंट रेशिया ) जहां 24.3 प्रतिशत था, जो वर्ष 2022 में बढ़कर 27.3 प्रतिशत पहुंच गया है। इसके साथ ही बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर में काफी सुधार हुआ है।

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