आर्थिक सुधारों पर राजग सरकार को मिली वाहवाही
वित्तीय साख जारी करने वाली अंतरराष्ट्रीय एजेेंसी फिच रेटिंग्स ने आज कहा कि बिहार विधान सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की हार का आर्थिक मोर्चे पर कोई खास प्रभाव पडऩे के आसार नहीं है पर केंद्र सरकार के लिए राजनीति कुछ अधिक पेचीदा हो सकती है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बिहार चुनाव में हार के बाद आर्थिक सुधारों को लेकर दिवाली से पहले कई अहम फैसले कर चुकी राजग सरकार के आर्थिक पंडितों को फिच की तारीफ से जरूर राहत मिली होगी। इन सुधारों को इस प्रमुख ग्लोबल रेटिंग एजेंसी ने बहुत ही सकारात्मक कदम करार दिया है।
गुरुवार को जारी फिच की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) व राज्य बिजली बोर्डो की दशा सुधारने संबंधी फैसले लेकर सरकार ने साबित कर दिया है कि आर्थिक सुधार जारी रहेंगे। इसके साथ ही एजेंसी ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान भारत की आर्थिक विकास दर के 7.5 फीसद या अधिक रहेगी। हाल के दिनों में जितनी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने ग्रोथ रेट के अनुमान लगाए हैं, उनमें यह सबसे ज्यादा है।
फिच के अनुसार विकास दर अगले दो वित्त वर्षो के दौरान आठ फीसद या ज्यादा रह सकती है। खुद सरकार के अलावा तेज रफ्तार को लेकर इतनी ज्यादा उत्साहित कोई और एजेंसी नहीं है। फिच की प्रतिक्रिया सरकार की उम्मीदों के मुताबिक है। बिहार चुनाव के नतीजे आने के बाद कई एजेंसियों ने ऐसा जाहिर किया था कि इससे मोदी सरकार के लिए अहम फैसले लेने मुश्किल हो जाएंगे। मगर उसके बाद दो दिनों के भीतर ही केंद्र की तरफ से 11 क्षेत्रों में विदेशी निवेशकों को ज्यादा सहूलियत का एलान कर दिया गया। राज्यों की बिजली वितरण कंपनियों पर बकाया कर्ज के भुगतान को पैकेज की घोषणा की गई है। इन दोनों कदमों को सुधारों के लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है। सरकार की ओर से उठाए गए आर्थिक सुधार के कदमों से निवेशकों में उम्मीद बंधी है।
फिच ने खास तौर पर राज्यों की खस्ताहाल बिजली वितरण कंपनियों को संभालने के लिए उठाए गए कदमों की है। इन कंपनियों पर बैंकों का लगभग 4.30 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। ये कंपनियां कर्ज नहीं चुका पा रही हैं। अब राज्य सरकारों को इन्हें चुकाने का इंतजाम करना होगा, लेकिन यह लंबी अवधि की व्यवस्था है।
एजेंसी की मानें तो इससे केंद्र पर भी उधारी का दबाव बढ़ेगा, मगर रेटिंग की संभावनाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इन सुधारों से न सिर्फ भारत में निवेश बढ़ेगा, बल्कि लंबी अवधि में देश की अर्थव्यस्था को भी मजबूती मिलेगी। वैसे बिहार चुनाव में मिली हार के संदर्भ में फिच ने यह जरूर माना है कि अब वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) को लागू करने की दिक्कतें और बढ़ गई है।
जीएसटी सिर्फ भारत में निवेश बढ़ाने के लिहाज से नहीं नहीं, राज्यों के बीच होने वाले कारोबार की दिक्कतों को दूर करने के लिए भी उचित कदम साबित होगा।