जीएसटी काउंसिल की आठवीं मीटिंग खत्म, डुअल कंट्रोल का मुद्दा अब भी अनसुलझा
दोहरे नियंत्रण का मामला अनसुलझा ही रह गया और जीएसटी काउंसिल की आठवी बैठक आज समाप्त हो गई
नई दिल्ली। दोहरे नियंत्रण का मामला अनसुलझा ही रह गया और जीएसटी काउंसिल की आठवी बैठक आज समाप्त हो गई। मंगलवार को शुरू हुई दो दिवसीय बैठक के बाद भी केंद्र और राज्य सरकार के बीच दोहरे नियंत्रण की बात पर सहमति नहीं बन पाई। काउंसिल की अगली बैठक 16 जनवरी को होगी। गौरतलब है कि बीती कई बैठकों से दोहरे नियंत्रण का मुद्दा अनसुलझा ही है।
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि इस बैठक के दौरान छह आर्थिक क्षेत्रों से जुडे मुद्दों पर बात हुई। उन्होंने कहा कि 6 सेक्टर ने इस बैठक के दौरान प्रजेंटेशन के जरिए अपनी जरूरतों को सामने रखा। उन्होंने कहा कि टेलीकॉम, बैंकिंग इंश्योरेंस और आईटी मुख्य तौर पर जीएसटी के अंतर्गत सेंट्रलाइल्ड रजिस्ट्रेशन चाहते हैं।
जेटली ने यह भी कहा कि क्षेत्राधिकार की परिभाषा और डुअल कंट्रोल का मसला, ये दो ऐसे मुद्दे हैं जिनपर आम सहमति नहीं बनी है। आईजीएसटी में कुल 11 चैप्टर्स हैं जिसमें से शुरुआती चैप्टर्स पर बात हो चुकी है, जबकि कुछ बाकी रह गए हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि मंगलवार और बुधवार को हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक बेनतीजा रही है और अब अगली बैठक 16 जनवरी को होगी।
अप्रैल तक जीएसटी के लागू होने पर संदेह
जीएसटी काउंसिल की बैठक खत्म होने के बाद केरल के वित्त मंत्रा डॉ टी एम थॉमस इसाक ने कहा कि जीएसटी के देशभर में लागू होने की संभावना सितंबर तक है।
नोटबंदी से हुआ राजस्व का नुकसान- मनीष सिसोदिया
नोटबंदी के चलते राज्य राजस्व के नुकसान की समस्या से जूझ रहे हैं। यह जानकारी दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दी है। उन्होंने आगे कहा कि राज्यों को हुए इस नुकसान के देखते हुए उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि एक अप्रैल 2017 तक जीएसटी का लागू हो पाना संभव प्रतीत नहीं होता है। उन्होंने यह भी कहा कि जीएसटी को केवल केंद्र सरकार की दृष्टी से नहीं देखना चाहिए। राज्यों को भी 1.5 करोड़ रुपए के बिजनेस पर कर लगाने का अधिकार मिलना चाहिए।
क्या कहना है बंगाल के वित्त राज्यमंत्री का-
बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा का कहना है कि केंद्र ने आर्थिक ग्रोथ के साथ समझौता किया है और लेदर उद्योग खराब स्थिति में पहुंच गया है। नोटबंदी के बाद से राज्य 30 फीसदी से 40 फीसदी तक का राजस्व नुकसान उठा रहे हैं। यह अनुमान सरकार के दिसंबर के डेटा के अनुसार लगाया गया है।
मंगलवार को हुई बैठक में क्या कुछ हुआ जानिए
नोटबंदी से हुए राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए राज्यों ने मांगा था मुआवजा:
मंगलवार को हुई जीएसटी काउंसिल की अहम बैठक में राज्यों ने भारी मुआवजे की मांग कर दी। कुछ राज्यों ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से लिए गए नोटबंदी के फैसले के बाद उन्हें अनुमानित तौर पर 90,000 करोड़ का राजस्व घाटा हुआ है, इसके लिए उन्हें मुआवजा मिलना चाहिए। गौरतलब है कि केंद्र सरकार 1 अप्रैल 2017 से देशभर में जीएसटी कानून लागू करना चाहती है।
इससे पहले डिमेरिट या सिन गुड्स और लग्जरी आइटम्स पर सेस लगाकर 55 हजार करोड़ रुपए का जीएसटी कम्पन्सेशन फंड बनाए जाने का प्रस्ताव था। गैर-भाजपा शासित राज्यों ने दावा किया था कि नोटबंदी के बाद उनके राजस्व में 40 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है इसलिए मुआवजे की इस राशि को 90,000 करोड़ रुपए किया जाना चाहिए।
जेटली लीगल ओपिनियन को हुए राजी: जीएसटी काउंसिल की 8वीं बैठक में तृणमूल शासित पश्चिम बंगाल, सीपीएम शासित केरल और कांग्रेस शासित कर्नाटक ने 12 नॉटिकल माइल्स तक के एरिया को आईजीएसटी लॉ के भीतर राज्यों की डेफ्निशन में शामिल करने की बात कही। इस मुद्दे पर हुई तकरार को देखते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली इसकी संवैधानिक वैधता पर लीगल ओपिनियन लेने को राजी हो गए।
राज्यों की डेफ्निशन पर नहीं बनी कोई सहमति: इस बैठक में राज्यों की डेफ्निशन पर कोई सहमति नहीं बनी। अभी तक गुजरात, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे राज्य 12 नॉटिकल माइल्स के भीतर वैट या सेल्स टैक्स वसूल रहे हैं। उदाहरण के लिए जब एक जहाज पर तेल या प्रोडक्ट्स लोड किए जाते हैं तो राज्य उससे टैक्स वसूलते हैं।