जल्द ही मोबाइल पर होगा आपका बैंक, बंद होंगी बैंक शाखाएं: नीति आयोग
तकनीक का तेजी से विकास हो रहा है। आने वाले दो-तीन साल में बैंकिंग की दुनिया तेजी से बदल जाएगी। बैंकों को अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए इस बदलाव के साथ ढलना होगा।
नई दिल्ली (एजेंसी)। आने वाला वक्त तकनीक का होगा। बैंकिंग सेवाएं तकनीक के हवाले हो रही हैं। नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत का कहना है कि 2020 तक बैंक शाखाएं समाप्त हो जाएंगी क्योंकि ग्राहकों को सभी तरह की बैंकिंग सेवाएं तकनीक के जरिये मोबाइल व इंटरनेट पर ही मिलने लगेंगी। ऐसे में बैंक शाखाएं तो बंद हो ही जाएंगी, डाटा एनालिटिक्स और डिजिटल बैंकिंग में आगे न बढ़ने वाले बैंकों का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा।
दो दिवसीय इंक्लूसिव फाइनेंस इंडिया सम्मेलन के उद्घाटन के मौके पर अमिताभ कांत ने कहा, ‘मेरे विचार से 2020 का वर्ष होगा। शाखाओं के दम पर काम करने वाले बैंक अगर डिजिटल माध्यम को अपनाने में पिछड़ गए तो खत्म हो जाएंगे। केवल दो साल का इंतजार है। उस समय हर व्यक्ति ऑनलाइन बैंकिंग को अपना चुका होगा।’ ऐसे में बैंक शाखाएं तो अप्रासंगिक हो ही जाएंगी, तकनीक में मजबूत बैंक ही प्रतिस्पर्धा में टिक पाएंगे।
नीति आयोग के सीईओ ने कहा कि जीएसटी, ई-मंडी, पेमेंट बैंक, पीओएस मशीनें और डीबीटी जैसी विभिन्न सरकारी पहल इस दिशा में की कारक बनेंगी। फीचर फोन के दिन लद जाएंगे। स्मार्टफोन की कीमत जिस तरह से गिर रही है, भारत में हर व्यक्ति के पास स्मार्टफोन होगा। 2020 तक एक अरब लोग इंटरनेट से जुड़ चुके होंगे। यह स्थिति वित्तीय समावेश बढ़ाने और लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाने में सहायक बनेगी।
कृषि कर्ज माफी अच्छा कदम नहीं
कृषि कर्ज माफी का कदम अर्थव्यवस्था और क्रेडिट कल्चर के लिए हानिकारक है। यह पूरी तरह राजनीतिक फैसला है और इसे सही नहीं ठहराया जा सकता। सम्मेलन में शामिल रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर वाई. वी. रेड्डी ने यह बात कही। पूर्व गवर्नर सी. रंगराजन ने भी ऐसी ही राय दी है। उनका कहना है कि किसानों को कर्ज चुकाने के लिए ज्यादा समय बेहतर विकल्प हो सकता है।