नीति आयोग को रास नहीं आया ई-कॉमर्स पॉलिसी का ड्राफ्ट, कई प्रावधानों पर जतायी नाखुशी
भारत में ई-कॉमर्स क्षेत्र का आकार बीते चार साल में तीन गुना हो गया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार के शीर्ष थिंक टैंक नीति आयोग को ई-कॉमर्स पॉलिसी का ड्राफ्ट रास नहीं आया है। आयोग ने इसके कई प्रावधानों पर सवाल उठाते हुए केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय को पत्र लिखा है। आयोग का कहना है कि भारत को एक प्रगतिशील ई-कॉमर्स नीति की आवश्यकता है, इसलिए इस नीति में व्यापक बदलाव किया जाना चाहिए।
सूत्रों ने कहा कि नीति आयोग के एक उच्च पदाधिकारी ने ई-कॉमर्स पॉलिसी के ड्राफ्ट में दिए गए प्रावधानों पर असहमति प्रकट की है। आयोग ने साफ कहा है कि इस नीति को तैयार करते समय उससे परामर्श भी नहीं किया गया। इस पत्र में स्पष्ट कहा गया है कि ई-कॉमर्स पॉलिसी के ड्राफ्ट में बड़े बदलावों की दरकार है। अगर यह नीति इसी रूप में स्वीकार कर ली जाती है तो इससे देश में निवेश पर विपरीत असर पड़ेगा।
सूत्रों ने कहा कि भारत को ऐसी ई-कॉमर्स नीति की दरकार है जो स्टार्ट अप, निवेश और विकास दर को प्रोत्साहित कर सके। यह नीति ऐसी होनी चाहिए जिससे नई नौकरियां सृजित हों और रोजगार के अवसर बढ़ें।
सूत्रों के मुताबिक आयोग की ओर से भेजे गए इस पत्र में साफ कहा गया है कि दुनिया के कई विकसित और विकासशील देशों में ई-कॉमर्स पॉलिसी नहीं है। इसके बावजूद भी भारत को यह नीति बनानी है तो इसमें इस बात का ध्यान रखा जाए कि इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निवेशकों में भारत की सकारात्मक छवि ही प्रस्तुत हो।
उल्लेखनीय है कि भारत में ई-कॉमर्स क्षेत्र का आकार बीते चार साल में तीन गुना हो गया है। यह क्षेत्र एक लाख से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष और परोक्ष रोजगार प्रदान करता है। इससे छोटे शहरों में नये-नये क्षेत्रों का विस्तार हो रहा है। इसी के मद्देनजर सरकार ने ई-कॉमर्स पर नीति का मसौदा बनाने के लिए एक थिंक टैंक बनाया था।
हालांकि शुरु से ही इस थिंक टैंक की बैठकों में असहमति के स्वर उभरने लगे। बताया जाता है कि नीति आयोग के पत्र के बाद सरकार अब ई-कॉमर्स नीति के ड्राफ्ट पर पुन: विचार कर रही है। इसके विवादित प्रावधानों को हटाकर उनकी जगह नए प्रावधान जोड़े जाएंगे।