हर महीने हो कैपिटल एक्सपेंडिचर की निगरानी: वित्त मंत्री
वित्त मंत्री ने कहा कि कैपिटल एक्सपेंडिचर के लिए बजट में दी गयी राशि को समय पर खर्च करने के लिए हर महीने निगरानी की जाए।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अर्थव्यवस्था को धीमेपन से निकालकर तेज विकास दर की राह पर ले जाने के लिए सरकार आम बजट 2019-20 में सड़क, रेल और हवाई अड्डों जैसी इन्फ्रास्ट्रक्चर सुविधाओं के लिए आवंटित धनराशि को समय पर खर्च करने में जुट गयी है। इसी दिशा में कदम उठाते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को विभिन्न मंत्रालयों के आला अधिकारियों की बैठक बुलाकर इस बात का जायजा लिया कि चालू वित्त वर्ष में अब उन्होंने कैपिटल एक्सपेंडिचर के लिए दी गयी राशि में कितना खर्च किया है। साथ ही उन्होंने अगली दो तिमाहियों के दौरान कैपिटल एक्सपेंडिचर को लेकर उनकी योजनाओं के बारे में भी पूछा।
वित्त मंत्री ने कहा कि कैपिटल एक्सपेंडिचर के लिए बजट में दी गयी राशि को समय पर खर्च करने के लिए हर महीने निगरानी की जाए। साथ ही उन्होंने सरकार को वस्तु या सेवाएं मुहैया कराने वाले कारोबारियों खासकर एमएसएमई को समय पर भुगतान करने का निर्देश भी दिया।वित्त मंत्रालय में हुई एक बैठक के बाद सीतारमण ने यहां कहा कि विभागों और मंत्रालयों को नियमित रूप से भुगतान करने चाहिए क्योंकि इससे निवेश का चक्र घूमता है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि अधिकारियों को हर संभव प्रयास कर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि फेस्टिव सीजन की शुरुआत से पहले ही सभी लंबित भुगतान कर दिये जाएं। इस मौके पर मौजूद वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग के सचिव जी सी मुर्मू ने एक सवाल के जवाब में कहा कि लगभग 60,000 करोड़ रुपये के बिलों का भुगतान लंबित था जिसमें से तकरीबन 40,000 करोड़ रुपये के भुगतान को मंजूरी दी चुकी है। पिछले तीन महीने में 20,157 करोड़ रुपये के लंबित भुगतान के लिए धनराशि जारी की जा चुकी है। वित्त मंत्री ने बजट में आवंटित कैपिटल एक्सपेंडिचर की राशि को भी समय पर खर्च करने का आग्रह विभिन्न मंत्रालयों से किया।
वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि 23 अगस्त तक जीएसटी के जितने रिफंड बकाया था उनमें से 90 प्रतिशत अब तक दिये जा चुके हैं।कैपिटल एक्सपेंडिचर के बारे में जानकारी देते हुए मुर्मू ने कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 के लिए सरकार का कुल बजट 27.86 लाख करोड़ रुपये है जिसमें से 3.38 लाख करोड़ रुपये कैपिटल एक्सपेंडिचर के लिए आवंटित किया गया है। कैपिटल एक्सपेंडिचर के लिए बजट में आवंटित धनराशि के अलावा विभिन्न मंत्रालयों और विभागों को 2.07 लाख करोड़ रुपये की सहायता राशि कैपिटल एसेट्स के निर्माण के लिए दी गयी है। इस तरह वित्त वर्ष 2019-20 में कैपिटल एक्सपेंडिचर के रूप में खर्च करने के लिए 5.45 लाख करोड़ रुपये उपलब्ध होंगे।
चालू वित्त वर्ष में अगस्त तक कैपिटल एक्सपेंडिचर के रूप में 1.36 लाख करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं जो कि बजट में आवंटित राशि का 40.28 प्रतिशत हैं जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में बजट में आवंटित की गयी राशि का लगभग 42 प्रतिशत हिस्सा खर्च हो गया था। इसी तरह कैपिटल एसेट्स के निर्माण के लिए दी गयी सहायता राशि में से 82 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए हैं जो कि बजट में आवंटित राशि का 39.7 प्रतिशत हैं। इसके अलावा मंत्रालयों ने 57 हजार करोड़ रुपये बजट के अतिरिक्त भी कैपिटल एक्सपेंडिचर के रूप में आवंटित किये हैं जिसमें से 0.46 लाख करोड़ रुपये के खर्च को मंजूरी दी जा चुकी है।