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नैस्ले ने मैगी मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का किया स्वागत

एफएसएसएआई ने जून 2015 में निश्चित सीमा से अधिक लेड (सीसा) पाए जाने पर नेस्ले के लोकप्रिय नूडल ब्रांड मैगी को प्रतिबंधित कर दिया था

By Praveen DwivediEdited By: Published: Thu, 03 Jan 2019 11:18 PM (IST)Updated: Fri, 04 Jan 2019 08:37 AM (IST)
नैस्ले ने मैगी मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का किया स्वागत
नैस्ले ने मैगी मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का किया स्वागत

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। एफएमसीजी सेक्टर की प्रमुख कंपनी नैस्ले ने मैगी नूडल्स मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में एनसीडीआरसी को सीएफटीआरआई की जांच को आगे की कार्यवाही का आधार बनाने के लिए कहा है।

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सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) की ओर से पारित दो अंतरिम आदेशों के खिलाफ कंपनी की ओर से दायर मामले पर सुनवाई कर रहा था। जानकारी के लिए आपको बता दें कि एनसीडीआरसी ने उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की एक याचिका पर ये अंतरिम आदेश दिए थे। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कंपनी से 640 करोड़ रुपए के हर्जाने की मांग की थी।

गौरतलब है कि भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने जून 2015 में निश्चित सीमा से अधिक लेड (सीसा) पाए जाने पर नेस्ले के लोकप्रिय नूडल ब्रांड मैगी को प्रतिबंधित कर दिया था। इस फैसले ने कंपनी को बाजार से अपने उत्पाद हटाने को मजबूर कर दिया था।

कंपनी की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया, "मैगी नूडल्स मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए हालिया फैसले का नैस्ले इंडिया स्वागत करती है।" न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने अपने आदेश में कहा कि केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान (सीएफटीआरआई), मैसूरु की रिपोर्ट आगे की कार्यवाही का आधार बनेगी। ये वही संस्थान है जहां मैगी नूडल्स के नमूनों की जांच की गई थी।

मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि एफएमसीजी कंपनी नेस्ले इंडिया के मशहूर मैगी नूडल मामले में मैसूरु की लेबोरेटरी की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई आगे बढ़ाई जाएगी। इस मामले पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ एवं हेमंत गुप्ता की खंडपीठ ने कहा कि एनसीडीआरसी पहले सीएफटीआरआइ की रिपोर्ट का आकलन करे और उस आधार पर फैसला दे। उससे पहले सुप्रीम कोर्ट के लिए कुछ फैसला देना ठीक नहीं होगा।

वहीं नेस्ले इंडिया की तरफ से इस मामले की पैरवी कर रहे अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने शीर्ष अदालत को बताया कि मैगी में सीसे की मात्र सरकार द्वारा अनुमति दी गई सीमा के भीतर है। इस पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कंपनी से पूछा कि सीसा-युक्त मैगी नूडल खाने की आखिर जरूरत ही क्या है। मैगी नूडल में स्वास्थ्य के लिहाज से हानिकारक तत्वों की मौजूदगी का मामला सामने आने के बाद सरकार ने कंपनी के खिलाफ नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन (एनसीडीआरसी) में 640 करोड़ के हर्जाने से संबंधित याचिका दायर की थी। सरकार ने इस मामले में नेस्ले पर मैगी के लिए गैरवाजिब कारोबारी गतिविधियों, झूठी लेबलिंग और भ्रामक विज्ञापन से संबंधित आरोप लगाए थे। सुप्रीम कोर्ट ने 16 दिसंबर, 2015 को एनसीडीआरसी में इस मामले की सुनवाई पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने सेंट्रल फूड टेक्नोलॉजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएफटीआरआइ, मैसूरु) से कहा था कि वह मैगी नूडल के बारे में अपनी प्रयोगशाला रिपोर्ट पेश करे।
 


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