NCLT ने शिविंदर को दी अनुमति, बड़े भाई मालविंदर के खिलाफ वापस ले सकेंगे अपनी याचिका
शिविंदर ने 2015 में सार्वजनिक जीवन से संन्यास ले लिया था। इसके बाद से वह ब्यास में बस गए थे
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटर शिविंदर मोहन सिंह को मंजूरी दे दी है कि वो अपने बड़े भाई मालविंदर और पूर्व-रेलिगेयर प्रमुख सुनील गोधवानी के खिलाफ अपनी याचिका को वापस ले लें।
शिविंदर ने इससे पहले इस महीने की शुरुआत में एनसीएलटी में अपने भाई के खिलाफ याचिका दाखिल कराई थी। शिविंदर ने आरोप लगाया है कि मालविंदर और गोधवानी की गतिविधियों से कंपनियों और शेयरधारकों का अहित हुआ है। एनसीएलटी की दो सदस्यीय पीठ जिसके चेयरमैन जस्टिस एमएम कुमार हैं ने शुक्रवार को शिविंदर को अनुमति दी थी कि वो अपनी याचिका वापस ले लें।
क्या था शिविंदर का आरोप?
शिविंदर ने कहा, "मैंने आरएचसी होल्डिंग, रेलिगेयर और फोर्टिस को नुकसान पहुंचाने व कुप्रबंधन को लेकर मालविंदर और सुनील गोधवानी के खिलाफ एनसीएलटी में मामला दायर किया है।" उन्होंने कहा कि यह कदम बहुत पहले ही उठाया जाना था, लेकिन वे यह सोचकर रुके रहे कि शायद स्थितियां सुधर जाएं और पारिवारिक विवाद का एक और बुरा अध्याय न लिखना पड़े। शिविंदर ने कहा कि मालविंदर और गोधवानी की गतिविधियों ने विधिवत तरीके से कंपनियों व शेयरधारकों के हितों को नुकसान पहुंचाया। इससे समूह के निष्ठावान ग्राहकों भी नुकसान हुआ।
शिविंदर ने 2015 में सार्वजनिक जीवन से संन्यास ले लिया था। इसके बाद से वह ब्यास में बस गए थे। उन्होंने कहा कि रेलिगेयर की एनबीएफसी शाखा में लिए गए फैसले, लेनदेन, ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी रैनबैक्सी को डायची के हाथों बेचना और प्राइवेट चार्टर एयरलाइन बिजनेस लाइगर एविएशन के संचालन में हुआ घाटा यह प्रमाणित करता है कि गड़बड़ी व्यवस्थित ढंग से हो रही थी। उन्होंने कहा कि पारिवारिक और निजी रूप से कष्ट होने बाद भी पारिवारिक कारोबारी प्रतिष्ठा की संवेदनशीलता के कारण वे किसी बयान से बच रहे थे।