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Reliance Jio मामले में NCLAT ने खारिज की आयकर विभाग की याचिका

अपीलेट टिब्यूनल ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि राजस्व का नुकसान होने का मतलब योजना का नियमों के खिलाफ होना नहीं है।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Thu, 26 Dec 2019 09:09 AM (IST)Updated: Thu, 26 Dec 2019 02:45 PM (IST)
Reliance Jio मामले में NCLAT ने खारिज की आयकर विभाग की याचिका
Reliance Jio मामले में NCLAT ने खारिज की आयकर विभाग की याचिका

नई दिल्ली, पीटीआइ। एनक्लैट ने रिलायंस जियो (Reliance Jio) के खिलाफ दायर आयकर विभाग की याचिका खारिज कर दी है। इस याचिका में जियो के टॉवर और फाइबर केबल बिजनेस को अलग करने के लिए दी गई मंजूरी को रद्द करने की मांग की गई थी। एनसीएलटी की अहमदाबाद बेंच ने रिलायंस जियो को कारोबार पुनर्गठन की मंजूरी दी थी। कंपनी की इस योजना में जियो डिजिटल फाइबर प्राइवेट लिमिटेड और रिलायंस जियो इन्फ्राटेल प्राइवेट लिमिटेड को अलग करने का प्रस्ताव है।

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रिलायंस की इस योजना से आयकर विभाग को काफी राजस्व हानि की आशंका है। इसलिए आयकर विभाग इसके खिलाफ एनक्लैट पहुंच गया था। अपीलेट टिब्यूनल ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि राजस्व का नुकसान होने का मतलब योजना का नियमों के खिलाफ होना नहीं है। एनक्लैट ने एनसीएलटी के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि वह कंपनी के पुनर्गठन में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा।

रिलायंस ने इस मामले में अपनी दलील पेश करते हुए कहा कि उसका टॉवर और ऑप्टिक फाइबर का बिजनेस पहले भी अगल-अलग कंपनी के रूप में स्थापित था। कंपनी के मुताबिक उस दौरान भी इसकी देनदारी और असेट एक-दूसरे से बिल्कुल पृथक थे।

गौरतलब है कि रिलायंस ने अप्रैल में फाइबर और मोबाइल टॉवर बिजनेस को अलग करने की बात कही थी। इस दौरान कंपनी ने बताया था कि फाइबर और टॉवर बिजनेस का नियंत्रण दो अलग-अलग इन्फ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट ट्रस्ट करेंगे। कंपनी ने फाइबर यूनिट को 500 करोड़ रुपये और मोबाइल टॉवर यूनिट को 200 करोड़ रुपये मूल्य की शेयरधारिता देने की बात कही थी।

यह दोनों ट्रस्ट रिलायंस इंडस्टियल इंवेस्टमेंट एंड होल्डिंग्स लिमिटेड द्वारा गठित किए गए हैं और इन पर पूरी तरह से रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड का मालिकाना हक होगा। इस पुर्नगठन को सेबी की ओर से भी हरी झंडी मिल चुकी है।


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