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NCLAT की अगली सुनवाई में Jaypee Infra के लिए NBCC की बोली में हो सकता है संशोधन

NBCC को बोली पर किए गए मतदान में 34.75 फीसद घर खरीदारों ने बोली के पक्ष में मत दिया। 1.44 फीसद ने विरोध में मतदान किया जबकि 23.8 फीसद ने मत नहीं दिया।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Wed, 03 Jul 2019 10:17 AM (IST)Updated: Wed, 03 Jul 2019 10:17 AM (IST)
NCLAT की अगली सुनवाई में Jaypee Infra के लिए NBCC की बोली में हो सकता है संशोधन
NCLAT की अगली सुनवाई में Jaypee Infra के लिए NBCC की बोली में हो सकता है संशोधन

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही कंपनी जेपी इन्फ्राटेक के कर्जदाताओं द्वारा एनबीसीसी की बोली को खारिज किए जाने के बाद नेशनल कंपनी लॉ एपीलेट टिब्यूनल (एनक्लैट) ने मंगलवार को बैंकों, घर खरीदारों और अन्य पक्षों के प्रतिनिधियों को निर्देश दिया कि वे 17 जुलाई को उसके समक्ष उपस्थित हों। उस दौरान वे घर खरीदारों के हित के लिए बोली में जरूरी संशोधन की संभावनाओं पर विचार करेंगे।

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एनक्लैट को बताया गया कि एनबीसीसी को बोली पर किए गए मतदान में 34.75 फीसद घर खरीदारों ने बोली के पक्ष में मत दिया। 1.44 फीसद ने विरोध में मतदान किया, जबकि 23.8 फीसद ने मत नहीं दिया। हालांकि सभी 13 बैंकों ने जेपी इन्फ्राटेक का अधिग्रहण करने के लिए जमा की गई एनबीसीसी की बोली के विरोध में मतदान किया। कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) में बैंकों का 40.75 फीसद प्रतिनिधित्व है। मतदान 31 मई को शुरू हुआ था और 10 जून को समाप्त हुआ। सीओसी में घर खरीदारों का प्रतिनिधित्व करीब 60 फीसद है।

मामले की सुनवाई में एनक्लैट की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि इस चरण में वह अडानी समूह की बोली पर विचार नहीं करना चाहती। जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि उसका मुख्य ध्यान घर खरीदारों के हितों का ध्यान रखना है। पीठ ने विभिन्न पक्षों के प्रतिनिधियों से कहा कि वे अगली सुनवाई में उपस्थित रहें। अगली सुनवाई में यह देखा जाएगा कि सभी पक्षों और खासकर घर खरीदारों के लाभ के लिए एनबीसीसी की बोली में क्या संशोधन किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई

जेपी इन्फ्राटेक से जुड़ी एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अगले सप्ताह सुनवाई करेगा। याचिका में मांग की गई है कि कंपनी को संपत्ति बिक्री (लिक्विडेशन) की प्रक्रिया में नहीं भेजा जाए। क्योंकि इससे घर खरीदारों को भारी नुकसान होगा। गौरतलब है कि कंपनी के लिए कॉरपोरेट इन्सॉल्वेंसी समाधान प्रक्रिया की समय सीमा खत्म हो चुकी है।


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