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फंड जुटाने को राजकोषीय घाटे की सीमा बढ़ा सकती है सरकार, क्रेडिट गारंटी स्कीम पर भी विचार

जीएसटी के कम संग्रह होने पर राज्य के राजस्व पर असर पड़ेगा जबकि इस दौरान कोरोना से लड़ने के लिए राज्यों को भी अतिरिक्त रूप से वित्तीय मदद की जरूरत है।

By Ankit KumarEdited By: Published: Mon, 04 May 2020 07:55 PM (IST)Updated: Tue, 05 May 2020 06:54 AM (IST)
फंड जुटाने को राजकोषीय घाटे की सीमा बढ़ा सकती है सरकार, क्रेडिट गारंटी स्कीम पर भी विचार
फंड जुटाने को राजकोषीय घाटे की सीमा बढ़ा सकती है सरकार, क्रेडिट गारंटी स्कीम पर भी विचार

नई दिल्ली, राजीव कुमार। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में फंड जुटाने के लिए सरकार राजकोषीय घाटे की सीमा में एक से डेढ़ फीसद तक की बढ़ोतरी पर विचार कर सकती है। पिछले सप्ताह वित्तीय राहत के दूसरे पैकेज के लिए होने वाली उच्च स्तरीय बैठक में इस विकल्प पर भी विचार किया गया। साथ ही, सरकार की तरफ से क्रेडिट गारंटी स्कीम पर भी गंभीरता से विचार किया जा रहा है। गौरतलब है कि घाटे में एक फीसद की बढ़ोतरी करने पर सरकार लगभग 2 लाख करोड़ का फंड जुटा सकेगी। सीमा में बढ़ोतरी शर्त के साथ होगी। शर्त यह होगी कि अगले चार साल तक राजकोषीय घाटे के लक्ष्य के अलावा उसमें उसमें 0.25 फीसद तक की अतिरिक्त कमी लानी होगी। चालू वित्त वर्ष 2020-21 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.8 फीसद है।

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फिस्कल रिस्पांसिब्लिटी एंड बजट मैनेजमेंट (एफआरबीएम) कानून के तहत सरकार आपदा या अन्य विशेष परिस्थिति में राजकोषीय घाटे की तय सीमा में बढ़ोतरी कर सकती है। वित्त मंत्रालय भारतीय रिजर्व बैंक के साथ यह फैसला लेता है। आर्थिक विशेषज्ञों के मुताबिक अगले तीन चार महीनों तक जीएसटी संग्रह में भी गिरावट का अनुमान है।

अप्रैल माह का जीएसटी संग्रह सरकार की तरफ से अब तक जारी नहीं करने से इसकी आशंका प्रबल दिख रही है। जीएसटी के कम संग्रह होने पर राज्य के राजस्व पर असर पड़ेगा जबकि इस दौरान कोरोना से लड़ने के लिए राज्यों को भी अतिरिक्त रूप से वित्तीय मदद की जरूरत है।

डेलॉयट इंडिया के पार्टनर एम.एस. मनी ने बताया कि सरकार एफआरबीएम कानून के तहत ऐसा करके फंड जुटा सकती है। लेकिन ऐसा करने पर जो स्थितियां पैदा होंगी, उसको लेकर सरकार पसोपेश में है। पहली आशंका है कि कच्चे तेल की खरीदारी के दौरान भुगतान के लिए सरकार को जो 90 दिनों का समय मिलता है, उसमें कटौती हो सकती है। डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी आएगी। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में आरबीआइ को नोट छापना पड़ सकता है जिससे महंगाई दर बढ़ने की आशंका है। यही वजह है कि इस विकल्प पर अब तक अंतिम फैसला नहीं लिया जा सका है।

एचडीएफसी के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ कहते हैं, सरकार राहत पैकेज के लिए एफआरबीएम के तहत फंड जुटा सकती है, लेकिन इसके साथ सरकार की तरफ से छोटे उद्यमियों के कर्ज की गारंटी लेने की घोषणा करने पर भी माहौल बदल सकता है। उन्होंने बताया कि अमेरिका ने अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 10-12 फीसद का पैकेज दिया है जिसमें इक्विटी सपोर्ट भी शामिल हैं। भारत सरकार क्रेडिट गारंटी की घोषणा करती है तो इससे सकारात्मक फर्क पड़ेगा। अभी दो दिन पहले केंद्रीय एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि सरकार क्रेडिट गारंटी की सीमा बढ़ा सकती है।


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