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एक साथ तीन ट्रेड समझौते की तैयारी, माहौल देख सरकार ने बदली रणनीति

ग्लोबल सप्लाई चेन का हिस्सा बनने के लिए दूसरे देशों के साथ खास ट्रेड समझौता जरूरी है।

By Ankit KumarEdited By: Published: Sat, 25 Jul 2020 07:07 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jul 2020 10:09 AM (IST)
एक साथ तीन ट्रेड समझौते की तैयारी, माहौल देख सरकार ने बदली रणनीति
एक साथ तीन ट्रेड समझौते की तैयारी, माहौल देख सरकार ने बदली रणनीति

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कोरोना काल ने मुक्त व्यापार समझौते को लेकर सरकार की सोच बदल दी है। वर्ष 2014 में सत्ता में आने के बाद से व्यापार समझौतों से दूर दूर भाग रही राजग सरकार ने बदले वैश्विक माहौल में अब एक साथ तीन बड़े कारोबारी साझेदार देशों के साथ व्यापार समझौते को आगे बढ़ाने का फैसला किया है। इस फैसले पर अमल की शुरुआत भी हो गई है। पिछले एक पखवाड़े में अमेरिका, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के साथ व्यापार समझौते की औपचारिक वार्ता भी शुरु हो गई है। पहले चरण में अमेरिका के साथ सीमित दायरे वाले एक व्यापार समझौते को अंतिम रूप दिए जाएगा और उसके बाद यूरोपीय संघ व ब्रिटेन के साथ एक साथ इसी तरह का समझौता होगा।

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आने वाले दिनों में ट्रेड समझौतों को लेकर होने वाली बैठकों को देखते हुए सरकार के भीतर एक उच्च स्तरीय समिति गठित की गई है जिसमें उद्योग व वाणिज्य मंत्रालय के अलावा वित्त मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के अधिकारी शामिल हैं। इन अधिकारियों के अलावा भावी बातचीत में अमेरिका, लंदन और यूरोपीय संघ स्थिति भारतीय मिशन की भी अहम भूमिका होगी।

अभी भारत उक्त तीनों पक्षों के साथ सीमित दायरे वाला ही ट्रेड एग्रीमेंट करेगा। इसके पीछे वजह यह बताया जा रहा है कि यह मुक्त व्यापार समझौते की तरह बाध्यकारी नहीं होगी यानी अगर बाद में किसी खास कारोबारी मुद्दे पर कोई समस्या होती है तो वह उसे दूर करने का विकल्प भारत के पास होगा। सरकारी सूत्रों के मुताबिक भारत ने पूर्व के दो दशकों में जिन देशों के साथ एफटीए किया है उसके अनुभव को देखते हुए ही यह फैसला किया गया है कि सीमित समझौता ही बेहतर है।

एक साथ तीन देशों के साथ व्यापार समझौतों पर आगे बढ़ने का फैसला उच्च स्तर पर विमर्श के बाद किया गया है। जानकारों के मुताबिक दो वजहों से यह फैसला किया गया है। पहला तो यह कि कोविड-19 के बाद वैश्विक अर्थतंत्र में भी कई तरह के बदलाव आने के आसार हैं।

चीन को लेकर यूरोपीय, अमेरिकी देशों के अलावा जापान व आस्ट्रेलिया में नए वैश्विक सप्लाई चेन स्थापित करने की जरुरत महसूस होने लगी है। भारत के लिए इन देशों के साथ कारोबारी रिश्ते में काफी बढ़ोतरी होने की संभावना है। दूसरा, हाल के वर्षो में कई तरह के घरेलू फैसलों की वजह से भारत की छवि एक बंद अर्थव्यवस्था की बनने लगी थी। सोमवार को अमेरिका-भारत बिजनेस परिषद की बैठक में और उसके बाद शुक्रवार को भारत-ब्रिटेन के वाणिज्य स्तर की वार्ता में भारत यह मुद्दा उठाया गया कि किस तरह से हाल की नीतियों को वैश्विक समुदाय सही नहीं मान रहा है।

वैश्विक सप्लाई चेन का हिस्सा बनने के लिए भारत को भी अपना बाजार दूसरे देशों की कंपनियों के लिए खोलना होगा। बहरहाल, अब बहुत संभव है कि नवंबर, 2020 तक भारत व अमेरिका के बीच सीमित दायरे वाले व्यापार समझौते की घोषणा हो जाए। वर्ष 2013 के बाद भारत-यूरोपीय संघ के व्यापारिक समझौते पर ठप्प वार्ता की नई शुरुआत जल्द होगी। शुक्रवार को भारत-ब्रिटेन ज्वाइंट इकोनोमिक व ट्रेड समिति की बातचीत में फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की तरफ बढ़ने की सहमति बनी है। बहुत संभव है कि यूरोपीय संघ व ब्रिटेन से व्यापार समझौता एक साथ ही हो।


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