मोटी पगार के लालच से बचें कंपनियों के सीनियर अफसर: नारायणमूर्ति
आइआइटी बांबे में छात्रों से रूबरू मूर्ति ने माना कि आइटी सेवा क्षेत्र के लिए हालात मुश्किल हैं, लेकिन उन्होंने एआइ और ऑटोमेशन को बड़ा खतरा मानने से इन्कार कर दिया
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। देश की दूसरी सबसे बड़ी आइटी कंपनी इन्फोसिस के सह-संस्थापक एनआर नारायणमूर्ति ने सीनियर अधिकारियों को त्याग की नसीहत दी है। उनका कहना है कि आइटी क्षेत्र के मुश्किल हालात को देखते हुए सीनियरों को मोटी पगार के लालच से बचना चाहिए। उनका त्याग लोगों में पूंजीवाद के प्रति भरोसा बढ़ाएगा। मूर्ति ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) और ऑटोमेशन से सेक्टर पर खतरे की आशंका को भी खारिज किया है।
आइआइटी बांबे में छात्रों से रूबरू मूर्ति ने माना कि आइटी सेवा क्षेत्र के लिए हालात मुश्किल हैं, लेकिन उन्होंने एआइ और ऑटोमेशन को बड़ा खतरा मानने से इन्कार कर दिया। उनके मुताबिक चीजों को हकीकत से कहीं ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है। जूनियर कर्मचारियों और नए लोगों की सैलरी में कोई बढ़ोतरी नहीं करने के ट्रेंड को भी उन्होंने चिंताजनक करार दिया। मूर्ति ने कहा कि मैनेजमेंट में सीनियर लेवल के लोग अच्छी-खासी सैलरी ले रहे हैं।
1,000 फीसद तक बढ़ी सैलरी
हवाई यात्रा में इकोनॉमी क्लास को वरीयता देने वाले मूर्ति ने कहा, ‘अगर हमें पूंजीवाद पर विश्वास है। अगर हमें यकीन है कि देश के आगे बढ़ने का यही सबसे अच्छा रास्ता है, तो अगुआ लोगों को कंपनियों के मुनाफे में से अपना हिस्सा लेने में संयम दिखाना होगा। पिछले सात साल में सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री में फ्रेशर्स की सैलरी जस की तस है, लेकिन सीनियर लेवल के कर्मचारियों का वेतन 1,000 फीसद तक बढ़ गया है। अगर बड़े अधिकारी त्याग करेंगे तो युवाओं पर असर पड़ेगा।’ हालांकि संवेदनशील पूंजीवाद के हिमायती रहे मूर्ति ने अपनी बात में इन्फोसिस का जिक्र नहीं किया।
सेक्टर के सामने आ रही चुनौतियों को मूर्ति ने अस्थायी माना है। उनका कहना है कि कुछ साल के अंतराल में ऐसी स्थिति खुद को दोहरा सकती है। इसकी वजह विकसित देशों की ओर से सेक्टर में किया गया निवेश है। नए निवेश से पहले वहां के क्लाइंट अभी अपने पुराने निवेश के फायदों का इंतजार कर रहे हैं।