बैंक नहीं है म्यूचुअल फंड, नियामक एजेंसी सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी की दो टूक
त्यागी ने म्यूचुअल फंड उद्योग को और मजबूत बनाने के लिए जल्द ही कुछ नए नियम बनाने का ऐलान किया लेकिन कोविड की वजह से बैंकों की तरह फंड कंपनियों की तरफ से निवेशकों को मासिक निवेश टालने की सुविधा देने को एकदम निशाने पर लिया है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। शेयर बाजार की नियामक एजेंसी सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने देश की म्यूचुअल फंड कंपनियों को दो टूक कहा है कि वह बैंक की तरह व्यवहार नहीं करें। उनका काम निवेश करने का है और वहीं तक सीमित रहे। त्यागी एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स ऑफ इंडिया (एएमएफआइ) की सालाना बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने म्यूचुअल फंड उद्योग को और मजबूत बनाने के लिए जल्द ही कुछ नए नियम बनाने का ऐलान किया लेकिन कोविड की वजह से जिस तरह से बैंकों ने अपने ग्राहकों को कर्ज अदाएगी से राहत दी है उसी तरह से फंड कंपनियों की तरफ से निवेशकों को मासिक निवेश टालने की सुविधा देने को एकदम निशाने पर लिया है।
त्यागी ने कहा कि, बैंकों के पास पूंजी पर्याप्तता स्तर का सहारा होता है। साथ ही आरबीआइ जैसे संस्था का भी सहारा होता है।
सेबी चेयरमैन ने इस बात को स्वीकार किया कि दूसरे निवेश बाजारों की तरह म्यूचुअल फंड बाजार में भी लिक्विडिटी की कमी है। सेबी इस समस्या को दूर करने के लिए कुछ उपायों पर विचार कर रहा है। जैसे फंड कंपनियों को ऋण फंड्स आधारित एमएफ स्कीमों के लिए स्विंग प्राइसिंग व्यवस्था को लागू करना। इस व्यवस्था के तहत फंड की हर इकाई की एक कीमत रोजाना होने वाले नए निवेश या फंड्स की बिक्री के आधार पर तय करने का एक फार्मूला तय कर दिया जाता है। इससे फंड्स की कीमत में एक सीमा के भीतर ही उतार चढ़ाव होता है।
इसके अलावा सेबी चेयरमैन ने लिक्विड डेट फंड्स में किसी भी फंड योजना के तहत निवेश की न्यूनतम सीमा तय करने के विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है। इससे फंड कंपनियां आपातकालीन परिस्थितियों के लिए ज्यादा तैयार हो सकेंगी। सेबी चेयरमैन ने म्यूचुअल फंड्स बाजार के लिए बाजार की जोखिम की जांच करने का नया तरीका बनाने के उद्धेश्य से एक समिति भी गठित करने का फैसला किया है।
सेबी चेयरमैन ने कहा कि, बेहद चुनौतीपूर्ण हालात में भी म्यूचुअल फंड उद्योग ने मिला जुला कर सही काम किया है। जो भी चुनौतियां पैदा हो रही हैं उनका समाधान भी निकालने की कोशिश हो रही है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी साफ किया कि सेबी एक नियामक के तौर पर किसी को भी स्माल कैप फंड्स में निवेश करने को प्रोत्साहित नहीं कर रहा है।
मल्टी कैप म्यूचुअल फंड्स के लिए निवेश आवंटन का जो नियम बनाया गया है उसमें निवेशकों के हितों को सर्वाधिक प्राथमिकता दी गई है। अब फंड कंपनियों को अपने पोर्टफोलियो का कम से कम 25-25 फीसद बड़ी कंपनियों, मझोली कंपनियों व छोटी कंपनियों में निवेश करने का प्रावधान लागू किया है। इस क्रम में त्यागी से जब शेयर बाजार की अनिश्चितता के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि, इसके बारे में कोई भी अनुमान नहीं लगा सकता। सेबी व आरबीआइ ने बाजार को काफी हद तक स्थिर किया है।